मक्का किसानों का आक्रोश बढ़ा

एमएसपी पर निर्णय को लेकर संकट में राज्य सरकार

केंद्र ने दी 2,400 रुपए एमएसपी की मंजूरी

खरीद केंद्र खोलने का प्रस्ताव ठुकराया

किसानों का दबाव बढ़ा, सरकार गहरे संकट में

हुब्बल्ली. कर्नाटक में गन्ने के बाद अब मक्का किसानों का आक्रोश तेजी से बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,400 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया है, लेकिन राज्य की ओर से भेजे गए खरीद केंद्र खोलने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया। इससे राज्य सरकार पर किसानों का दबाव बढ़ गया है कि या तो एमएसपी पर खरीद करे या कीमतों के अंतर की भरपाई सीधे किसानों को दे।

केंद्र सरकार ने राज्य को निर्देश दिया है कि वह स्वयं खरीद केंद्र स्थापित करे और खरीदा गया मक्का सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत वितरित करे। लेकिन मक्का घरों में उपभोग की वस्तु न होने के कारण इसे राशन में बांटना व्यावहारिक नहीं माना जा रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि मक्का से एथेनॉल, पशु आहार सहित 52 प्रकार के उत्पाद बनाए जा सकते हैं, ऐसे में सरकार को ठोस समाधान ढूंढना होगा।

कर्नाटक देश का सबसे बड़ा मक्का उत्पादक राज्य है, जहां 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हर साल लगभग 39.60 लाख टन उत्पादन होता है। दावणगेरे, चित्रदुर्ग, हावेरी, धारवाड़, बागलकोट, हासन और शिवमोग्गा प्रमुख उत्पादक जिले हैं। इस वर्ष बाजार भाव में भारी गिरावट ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है।

गदग जिले के लक्षमेश्वर में किसानों का धरना छठे दिन भी जारी रहा, जिसकी लहर अन्य जिलों में फैलने लगी है। सरकार को आशंका है कि यह विरोध गन्ना किसानों की तरह बड़े आंदोलन का रूप न ले ले। 2013-14 में राज्य ने एमएसपी पर खरीद तो की थी, लेकिन वितरण न हो पाने से बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था।

इस बार ऐसे हालात न बनें, इसलिए सरकार “बाजार दर और एमएसपी के बीच अंतर राशि” सीधे किसानों को देने के विकल्प पर विचार कर रही है। जिलाधिकारियों और मंत्रियों ने कहा है कि जल्द ही मुख्यमंत्री के साथ चर्चा कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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