गदग में आवास योजनाओं का अनुदान दस वर्षों से स्थिर
गदग. केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों को आवास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चलाई जा रही योजनाएं महंगाई के इस दौर में निष्प्रभावी होती जा रही हैं। पिछले एक दशक से आवास योजनाओं में मिलने वाला अनुदान जस का तस बना हुआ है, जबकि निर्माण लागत में कई गुना वृद्धि हो चुकी है। परिणामस्वरूप हजारों लाभार्थी आज भी अधूरे घरों में रहने को मजबूर हैं।
हजारों घर अधूरे, कई की शुरुआत भी नहीं
राजीव गांधी आवास निगम के तहत वर्ष 2015-16 से 2022-23 तक वाजपेयी नगर आवास योजना, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर आवास योजना और देवराज अरस विशेष वर्ग आवास योजना के अंतर्गत 4,045 लाभार्थियों को घर निर्माण की मंजूरी दी गई थी। इनमें से 3,537 घर पूरे हो चुके हैं, जबकि 328 निर्माणाधीन हैं और 176 घरों का कार्य अब तक शुरू भी नहीं हुआ।
इसी अवधि में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत 5,872 घरों को स्वीकृति मिली थी, जिनमें से 5,090 पूर्ण हो चुके हैं, 417 निर्माणाधीन हैं और 365 की शुरुआत नहीं हो सकी है।
अनुदान अपर्याप्त, निर्माण अधूरा
आज के समय में जब लोहे, सीमेंट, ईंट, रंग और मजदूरी की दरें दो से तीन गुना बढ़ चुकी हैं, तब भी आवास योजनाओं के अनुदान में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सामान्य एवं अल्पसंख्यक वर्ग को 1.20 लाख रुपए तथा अनुसूचित जाति-जनजाति को 1.75 लाख रुपए की सहायता दी जाती है।
अंबेडकर आवास योजना में 2 लाख रुपए और बसव आवास योजना में सामान्य वर्ग को 1.20 लाख रुपए अनुदान मिलता है।
इसके अतिरिक्त मनरेगा के अंतर्गत 90 दिन की मजदूरी का भुगतान भी किया जाता है।
हालांकि, इन राशि में आज केवल टिन शेड वाला घर भी मुश्किल से तैयार होता है। अधिकांश लाभार्थी निर्माण कार्य के लिए निजी ऋण लेने को मजबूर हैं और कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं।
दस वर्षों से नहीं हुई राशि में बढ़ोतरी
बसव आवास योजना का अनुदान वर्ष 2012-13 में 75 हजार रुपए से बढ़ाकर 1.20 लाख रुपए किया गया था, जो अब तक अपरिवर्तित है। डॉ. अंबेडकर आवास योजना की राशि वर्ष 2010 में 75 हजार रुपए से बढ़ाकर 2021 में 2 लाख रुपए की गई थी, लेकिन उसके बाद कोई संशोधन नहीं हुआ। प्रधानमंत्री आवास योजना में भी अनुदान दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
बढ़ती लागत, घटती उम्मीदें
आज लोहे, सीमेंट, बालू और मजदूरी की कीमतें आसमान छू रही हैं। सरकार जो अनुदान देती है, उससे आधा घर भी नहीं बन पाता। घर पूरा करने के लिए हमें कर्ज लेना पड़ता है। केंद्र और राज्य सरकारों को तत्काल अनुदान बढ़ाना चाहिए।
–मंजु रामदुर्ग, निवासी गंगिमठ, गदग
