कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने की फसल क्षति की जांचधारवाड़ तालुक के विभिन्न गांवों का दौरा कर फसल क्षति की जांच करते कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक।

विभिन्न गांवों का किया दौरा

हुब्बल्ली. पिछले एक महीने से बारिश और बादलों के कारण मूंग, उड़द और सोयाबीन फसलों पर पत्तियां और फल खाने वाले कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ा है। इसी को लेकर कृषि विश्वविद्यालय धारवाड़ के विशेषज्ञों की टीम ने क्षेत्र का दौरा कर फसलों की स्थिति की समीक्षा की।

कृषि विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक कलावती कंबळी, सहायक कृषि निदेशक राजशेखर अनगौडर, कृषि अधिकारी गुरुप्रसाद हिरेमठ और रेखा बेल्लटी सहित विशेषज्ञों की टीम ने गरग होबली के लोकूर, यादवाड, कल्लूर और अम्मिनभावी होबली के हेब्बल्ली गांव के किसानों के खेतों का दौरा कर विभिन्न फसलों पर लगे रोगों का निरीक्षण किया।

रोग के नियंत्रण के लिए क्लोरांथ्रानिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत एससी, 0.4 मिली/लीटर पानी या क्लोरांथ्रानिलीप्रोल + लैम्ब्डासायहलोथ्रिन 0.4 मिली/लीटर या फिर स्पिनोसैड 45 एससी 0.2 मिली/लीटर पानी या फिर फ्लुबेंडियामाइड 20 प्रशित डजी 0.2 ग्राम/लीटर या फिर स्पिनेटोराम 11.7 एससी, 0.4 मिली/लीटर पानी का छिडक़ाव करना चाहिए। मक्का फसल में सैनिक कीटों को नियंत्रित करने के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी 0.3 ग्राम/लीटर पानी को स्पिनेटोराम 11.7 एससी तथा प्रति एकड़ 10 फेरोमोन ट्रैप्स लगाने की सलाह दी।

प्रभावी नियंत्रण के लिए छिडक़ाव का समय सुबह 10 बजे से पहले या शाम 4 बजे के बाद कीटनाशक छिडक़ाव करने का सुझाव दिया।

उलवय्या चिक्कोप्पा, द्यामप्पा रंगण्णवर, पडेप्पा बागलकोट, नरसिंगनवर, महांतेश गलगी, मडिवाळप्पा दिंडलकोप्प, सिद्राम दंडिन, विठ्ठल भोवी, मंजुनाथ भीमक्कनवर, बसवराज तट्टिमनी सहित कई स्थानीय किसान उपस्थित थे।

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