13 महीनों में 373 मामले दर्ज
कलबुर्गी. बड़ी वैचारिक क्रांति और शरणों के आंदोलन का गवाह रहे कल्याण कर्नाटक क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार के मामले साल दर साल बढ़ रहे हैं।
2023 में 294 मामले दर्ज किए गए थे। जनवरी 2024 से जनवरी 2025 तक 13 महीनों में कल्याण कर्नाटक क्षेत्र के सात जिलों के विभिन्न पुलिस थानों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत 373 मामले दर्ज किए गए हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार कुल आबादी में 20.79 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 19.03 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वाले रायचूर जिले में सबसे अधिक 95 मामले दर्ज हुए हैं। रेलवे पुलिस थाने में भी एक मामला दर्ज किया गया है।
अगस्त 2024 से जनवरी 2025 के अंत तक 6 महीनों में 166 मामले दर्ज किए गए हैं। इस अवधि के दौरान जनवरी 2025 में सबसे अधिक 36 मामले दर्ज हुए हैं।
अगस्त 2024 में 27, सितम्बर में 27, अक्टूबर में 31, नवम्बर में 11 और दिसम्बर में 34 मामले दर्ज किए गए हैं।
जाति निंदा, छुआछूत प्रथा, महिलाओं के साथ दुष्कर्म, हिंसा और दंगे सहित विभिन्न कारणों से मामले दर्ज किए गए हैं।
मामलों की संख्या में वृद्धि
2023 की तुलना में 2024 में मामलों की संख्या में वृद्धि हुई। सर्वाधिक 43 मामले सामने आए हैं। वर्ष 2023 में सात जिलों में 294 मामले दर्ज किए गए थे। रायचूर 81 मामलों के साथ शीर्ष पर रहा।
प्रभावित हुए बिना गिरफ्तार करें
दलित संघर्ष समिति (क्रांतिकारी) के राज्य संचालक अर्जुन भद्रे ने कहा कि ये मामले दर्शाते हैं कि समाज आज भी अनुसूचित जातियों के साथ कैसा व्यवहार करता है। यह सिर्फ अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज करने तक ही सीमित नहीं है। उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए इस बारे में सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए। कई मामलों में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया है। पुलिस को भी प्रभावित नहीं होना चाहिए और हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करना चाहिए। समाज कल्याण विभाग की ओर से जागरूकता बढ़ाने के कार्य में तेजी लानी चाहिए।
लगातार जागरूकता पैदा की जा रही है
समाज कल्याण विभाग अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचारों और अधिनियम के बारे में नुक्कड़ नाटक जैसी गतिविधियों के माध्यम से लगातार जागरूकता पैदा कर रहा है।
–अल्लाहबकश, अतिरिक्त निदेशक, समाज कल्याण विभाग, कलबुगी
नियमित रूप से आयोजित नहीं की जाती बैठकें
अनुसूचित समुदाय के नेताओं का कहना है कि हिंसा को रोकने के लिए उप संभाग जिला स्तर पर जागरूकता निगरानी समिति का गठन किया जाता है। ये समितियां हिंसा के पीडि़तों को पुनर्वास सहायता प्रदान करने तथा कानून के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम करती हैं। उप-संभाग एवं जिला स्तरीय समितियों के लिए प्रत्येक तीन माह में एक बार बैठक करना अनिवार्य है परन्तु बैठकें नियमित रूप से आयोजित नहीं की जाती हैं।
मामलों की संख्या
जिला — 2023 — 2024 से 25 जनवरी तक
रायचूर — 81 — 95
कोप्पल — 34 — 63
कलबुर्गी — 42 — 60
यादगीर — 28 — 57
बल्लारी — 42 — 31
विजयनगर — 38 — 28