विश्व बैंक के 840 करोड़ रुपए की सहायता से के-शोर योजना लागू
उडुपी. विश्व बैंक ने कर्नाटक के तटीय तीन जिलों—दक्षिण कन्नड़, उत्तर कन्नड़ और उडुपी में प्लास्टिक मुक्त तटीय क्षेत्र और समुद्री संरक्षण के लिए 840 करोड़ रुपए की मदद मंजूर की है। यह परियोजना के-शोर (कर्नाटक तटीय लचीलापन अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ीकरण) योजना के अंतर्गत लागू की जाएगी।
योजना का मुख्य उद्देश्य
तटीय क्षेत्र में कचरा प्रबंधन क्षमता बढ़ाना, प्लास्टिक मुक्त तटीय निर्माण, तटीय रोजगार सृजन, समुद्री जीव-जंतु जैसे डॉल्फिन और ऑलिव रिडले कछुए की सुरक्षा करना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है।
एमआरएफ इकाइयां और अपग्रेडेशन
उदयपुर जिले में 11 नई एमआरएफ (बहु-पंचायत संबंधित अपशिष्ट निपटान) इकाइयां बनाई जाएंगी। मौजूदा 4 इकाइयों की क्षमता बढ़ाई जाएगी। बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन के लिए विशेष इकाइयां उजीरे और पडुबिद्री में स्थापित की जाएंगी। प्रत्येक इकाई की अनुमानित लागत 1.5 से 2 करोड़ रुपए होगी। क्षमता वृद्धि 5 से 10 और 10 से 15 मेट्रिक टन बढ़ेगी। वंडसे एसएलआरएम को एमआरएफ में परिवर्तित किया जाएगा और इस मॉडल को जिले के विभिन्न हिस्सों में लागू किया जाएगा। उजीरे और पडुबिद्री में अपनाए गए मॉडल को अस्पतालों से एकत्रित डायपर और बायोमेडिकल कचरे के ढेर के लिए अन्य स्थानों पर भी लागू किया जाएगा। डीजल की बजाय बिजली से कचरे को जलाने का मॉडल पेश किया जाएगा। उडुपी जिले को कचरा निपटान के लिए 100 वाहन मिलेंगे।
वन विभाग की भूमिका
वन विभाग की ओर से तटीय नदीमुख और समुद्र तटों में वृक्षारोपण की जाएगी। 16 नदियों के किनारे नहरें और बांध आदि निर्माण किया जाएगा। मछुआरों और स्थानीय समुदायों को शामिल कर तटीय सफाई सुनिश्चित की जाएगी।
वैकल्पिक उपयोग
कुक्के सुब्रह्मण्य मंदिर, धर्मस्थल, कटीलु दुर्गापरमेश्वरी मंदिर, उडुपी श्री कृष्ण मंदिर, कोल्लूर मूकाम्बिका मंदिर आदि तीर्थस्थलों पर प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। पूजा स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं में हैंडबैग जैसी प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग के विकल्प खोजने के लिए जागरूकता पैदा की जाएगी। ट्रैकिंग मार्गों, जंगलों के प्रवेश और निकास बिंदुओं पर प्लास्टिक की बोतलें और अन्य कचरा एकत्र किया जाएगा, विभिन्न स्थानों पर कूड़ेदान रखे जाएंगे, और यहां एकत्र प्लास्टिक कचरे को विभिन्न स्थानों पर स्थित एमआरएफ इकाइयों को देने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
तीन जिलों में वितरित किया जाएगा अनुदान
विश्व बैंक की ओर से सहायता प्राप्त 840 करोड़ रुपए की परियोजना के तहत तटीय जिलों को प्लास्टिक मुक्त बनाने, अपशिष्ट निपटान के लिए उपयुक्त इकाइयों का निर्माण और मौजूदा इकाइयों का उन्नयन सहित अन्य कार्य किए जाएंगे। यह अनुदान 5 विभागों के समन्वय से 3 जिलों में वितरित किया जाएगा।
–कोटा श्रीनिवास पुजारी, सांसद, उडुपी
केंद्र सरकार को प्रस्तुत की गई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट
11 नई एमआरएफ इकाइयों का निर्माण, 4 इकाइयों का उन्नयन, अपशिष्ट संग्रहण के लिए 100 वाहनों की खरीद, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन के लिए इकाई, और सभी स्रोतों से प्लास्टिक मुक्त होने के संकल्प के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट केंद्र सरकार को प्रस्तुत की गई है।
–प्रतीक बायल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उडुपी जिला पंचायत
तथ्य और आंकड़े
विवरण — आंकड़े/लागत
नई एमआरएफर इकाइयां — 11
अपग्रेड इकाइयां — 04
कचरा संग्रहण वाहन — 100
अनुमानित कुल लागत — 840 करोड़ रुपए
बायोमेडिकल कचरा इकाइयां — 2 (उजीरे और पडुबिद्री)
