एपीएमसी बाजारों में अपशिष्ट से बायोगैस उत्पादन की योजना अटकी
सरकार की घोषणा पर अब तक अमल नहीं, अधिकारियों में असमंजस
हुब्बल्ली एपीएमसी ने चिन्हित की 2 एकड़ भूमि
बजट में अनुदान व समय-सीमा तय न होने से परियोजना पर सवाल
हुब्बल्ली. एपीएमसी बाजारों में प्रतिदिन निकलने वाले सब्जी-फल-फूल के अपशिष्ट का उपयोग कर बायोगैस उत्पादन की राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना एक साल बाद भी ठप्प नजर आ रही है। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह योजना महज बजट घोषणाओं तक ही सीमित रह गई?
पिछले साल के बजट में कोलार, हुब्बल्ली, बेंगलूरु, मैसूरु, बल्लारी और चिक्कबल्लापुर की एपीएमसी मंडियों में सरकारी निजी सहभागिता (पीपीपी) मॉडल पर बायोगैस संयंत्र स्थापित करने का ऐलान हुआ था। इसके लिए स्थानीय अधिकारियों से लगातार चर्चा कर प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश भी दिया गया था।
प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई
हुब्बल्ली एपीएमसी ने मवेशी मंड़ी के पास 2 एकड़ जमीन चिन्हित कर विस्तृत प्रस्ताव सरकार को भेजा था परन्तु अब तक विभागीय मुख्यालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। स्थानीय अधिकारी असहाय महसूस कर रहे हैं।
गंभीर रुचि नहीं दिखा रहे उच्च अधिकारी
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने न तो इस परियोजना के लिए विशेष अनुदान तय किया, न ही समय-सीमा घोषित की। शायद यही वजह है कि उच्च अधिकारी इस दिशा में कोई गंभीर रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
कचरे की कमी भी बाधा
हुब्बल्ली एपीएमसी के कुछ अधिकारियों के अनुसार मंडी में प्रतिदिन उतना जैविक कचरा निकल ही नहीं रहा, जिससे बायोगैस उत्पादन संयंत्र सुचारु रूप से चल सके। इस कारण से भी परियोजना अटक गई हो सकती है।
मार्गदर्शन मिलने पर ही अगली कार्रवाई होगी
मैंने हाल ही में कार्यभार संभाला है। बायोगैस संयंत्र के लिए प्रस्ताव भेजे जाने की जानकारी है। आगे की स्थिति स्पष्ट नहीं। मुख्यालय से मार्गदर्शन मिलने पर ही अगली कार्रवाई होगी।
–गुरुप्रसाद, सचिव, एपीएमसी, हुब्बल्ली