बर्ड फ्लू: दक्षिण कन्नड़ जिले में भी बरती जा रही सावधानी

पशुपालन, स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों की समन्वय समिति गठिते

मेंगलूरु. राज्य के बल्लारी और चिक्काबल्लापुर जिलों में बर्ड फ्लू के उभरने के चलते दक्षिण कन्नड़ जिले में भी गहन निगरानी की जा रही है। पशुपालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की  समन्वय समिति गठित की गई है।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अधिकारी डॉ. तिम्मय्या ने कहा कि जिले में उठाए जाने वाले एहतियाती कदमों पर चर्चा के लिए समिति की 1 मार्च शनिवार को बैठक हुई। बर्ड फ्लू से बचाव के उपायों के बारे में जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को परिपत्र भेजा जाएगा।

उन्होंने कहा कि हाल ही में हर साल बर्ड फ्लू की खबरें सामने आ रही हैं। मांस को खाने से पहले उसे अच्छी तरह पकाना जरूरी है। इससे मांस में मौजूद सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं और वह खाने के लिए सुरक्षित हो जाता है। समन्वय समिति के माध्यम से जनता में जागरूकता लाने का काम किया जाएगा।

बंदर रोग का मामला दर्ज नहीं हुआ

दक्षिण कन्नड़ जिले के बेलुवाई में वर्ष 2014 में बंदर रोग (क्यासनूर वन रोग) का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद से जिले में यह बीमारी नहीं पाई गइ र्है। पड़ोसी जिलों में इस बीमारी के पाए जाने के चलते दक्षिण कन्नड में भी एहतियात बरती जा रही है।

जिला सर्वेक्षण अधिकारी डॉ. नवीनचंद्र कुलाल ने कहा कि वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और वन कर्मचारियों को जंगल में जाने पर विषाणु युक्त खटमल काटने से इस रोग के संक्रमण का खतरा होता है। घर पहुंचने पर गर्म पानी से स्नान करने और अपने कपड़ों को गर्म पानी से धोने से बंदर की बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है। डीईपीए खटमल रिपेलेंट तेल लगाने से भी खटमल को शरीर में प्रवेश करने से रोका जा सकता है।

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