कर्नाटक-महाराष्ट्र के बीच तनाव को रोकने अमित शाह का फार्मूला
बेलगावी. कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच तनावपूर्ण माहौल को रोकने के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित समन्वय समिति में दोनों राज्यों की सरकारों ने किसी को भी नियुक्त नहीं किया है। सरकारों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देशों की अवहेलना की है।
लोगों में चर्चा है कि बस चालक और लडक़ी के बीच मामूली बहस हादसे में बदल गई। इससे न केवल दोनों राज्यों के बीच बस यातायात रुक गया, बल्कि दोनों राज्यों के संगठनों के बीच दुश्मनी भी बढ़ गई है। उत्तर पश्चिम कर्नाटक सडक़ परिवहन निगम को हर दिन 20 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। समन्वय समिति सक्रिय है और इस स्थिति को संभाला होता तो उचित होता था।
उद्देश्य प्राप्त नहीं हुआ
नवंबर 2022 में सीमा संघर्ष के दौरान, महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (अब उपमुख्यमंत्री) ने कहा था कि बेलगावी सहित सभी 865 गांवों को महाराष्ट्र में अधिग्रहण करके ही रहेंगे। कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी कहा था कि महाराष्ट्र के जत्त, अक्कलकोट और अन्य क्षेत्र कर्नाटक में शामिल करेंगे। उस समय अमित शाह ने समन्वय समिति गठित कर विवाद को सुलझाने का प्रयास किया था। जब तक सीमा विवाद का समाधान सर्वोच्च न्यायालय में नहीं हो जाता, तब तक दोनों राज्यों को एक-दूसरे के क्षेत्रों पर दावा नहीं करना चाहिए। इस बात पर सहमति हुई कि दोनों राज्यों के तीन-तीन मंत्रियों वाली एक समन्वय समिति सीमा की स्थिति को संभालेगी।
राज्य से तत्कालीन मंत्री गोविंद कारजोल, जे.सी. माधुस्वामी और शशिकला जोल्ले तथा महाराष्ट्र से चंद्रकांत पाटिल, दीपक केसरकर और शंभूराज देसाई को समिति में नियुक्त किया गया था।
समन्वय समिति कार्यरत नहीं हुई
तत्कालीन दोनों राज्य सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। एक भी बैठक नहीं हुई। समझौतों का सम्मान नहीं किया गया। परिणामस्वरूप, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 5 दिसंबर, 2023 को राज्य सरकारों को एक अलग नोटिस जारी किया था। दोनों सरकारों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। समन्वय समिति कार्यरत नहीं हुई।
समिति बनाने का अनुरोध किया है
हमने महाराष्ट्र सरकार से समन्वय समिति बनाने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने शीघ्र प्रतिक्रिया देने का वादा किया है।
–मनोहर कीणेकर, कार्यकारी अध्यक्ष, एमईएस
सदस्यों की नियुक्ति करें
समन्वय समिति के प्रावधानों का महाराष्ट्र सरकार और एमईएस संगठन की ओर से उल्लंघन किया जा रहा है। इसे ठीक करने के लिए दोनों राज्यों को समिति के लिए सदस्यों की नियुक्ति करनी चाहिए।
–अशोक चंदरगी, सदस्य, कर्नाटक सीमा क्षेत्र विकास प्राधिकरण
सीमा प्रभारी मंत्री ही नहीं!
कर्नाटक सीमा क्षेत्र विकास प्राधिकरण के सदस्य एवं बेलगावी जिला कन्नड़ संगठन कार्य समिति के अध्यक्ष अशोक चंदरगी ने कहा कि सीमावर्ती कन्नड़ लोगों के हितों की रक्षा के लिए 1972 में सीमा प्रबंधन विभाग का गठन कर के.एच. पाटिल को मंत्री का पद दिया गया था। कई वर्षों के बाद एच.के. पाटिल को 2015 से 2018 तक तत्कालीन सिद्धरामय्या सरकार में यह पद दिया गया था। 2018 में कार्यकाल समाप्त होने के बाद से इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद है, तथा कर्नाटक और गोवा के बीच जल विवाद है। ऐसी स्थिति में, सीमा के प्रभारी मंत्री की अनुपस्थिति ने सीमावर्ती कन्नड़ लोगों में अनाथ होने की भावना पैदा कर दी है।