विभाग के लिए अंकुश लगाना बना सिरदर्द
हुब्बल्ली. विभिन्न योजनाओं के तहत मुफ्त और रियायती बिजली के बावजूद धारवाड़ जिले में बिजली चोरी जारी है। बिजली चोरी रोकने में जूझ रहे विभाग के लिए इससे समस्या खड़ी हो गई है।
विभाग के अनुसार जागरूकता की कमी और कुछ नहीं होने की लापरवाही के कारण मामले बढ़ रहे हैं।
आज की जीवनशैली के लिए बिजली आवश्यक वस्तु बन गई है। पर्याप्त बिजली आपूर्ति के लिए सरकार कदम उठा रही है। 200 यूनिट तक घरेलू खपत के लिए मुफ्त बिजली, 10 एचपी क्षमता के सिंचाई पंप सेट के लिए मुफ्त बिजली और छोटे उद्योगों के लिए रियायती बिजली की आपूर्ति की जा रही है। इसके बावजूद बिजली चोरी के मामलों पर अंकुश नहीं लग पाना विभाग के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
विभिन्न प्रकार की चोरी
बिजली के तार में हुक लगाकर सीधे बिजली चोरी करने के मामले संज्ञेय मामलों के तहत दर्ज किए जाते हैं। घरेलू बिजली कनेक्शन का व्यावसायिक उपयोग, बिजली मीटर से छेड़छाड़ आदि के मामलों को असंज्ञेय मामलों के तहत दर्ज किया जाता है।
शादी-विवाह, समारोहों में बगल की बिजली लाइन में हुक लगाना, घर बनाते समय हुक लगाना और खेतों में सिंचाई पंप सेट के लिए बिजली संपर्क पाने हुक लगाना आम बात है। यह एक गंभीर अपराध है और केईआरसी नियमों के अनुसार जुर्माना लगाया जाता है। इसी तरह का अपराध दोहराने पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। कोर्ट में मुकदमा चलेगा। दोषी पाए जाने पर 6 महीने तक की जेल हो सकती है।
मामलों में उतार-चढ़ाव
पिछले तीन साल के आंकड़ों की समीक्षा करने पर बिजली चोरी के मामले काबू में नहीं आए हैं। उतार-चढ़ाव देखा गया है। 2021 में 132, 2022 में 105 और 2023 में 123 संज्ञेय मामले दर्ज किए गए हैं। तीन साल की अवधि में 1,42,103 यूनिट बिजली का दुरुपयोग हुआ है। 29,04,101 रुपए का अनुमानित जुर्माना लगाया गया है।
गैर-संज्ञेय मामलों का भी यही हाल है। 2021 से तीन साल में कुल 1,759 मामले दर्ज किए गए हैं। 12,18,080 यूनिट बिजली का दुरुपयोग हुआ है। 2,71,35,709 रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
2021 से तीन साल में कुल 2,119 मामले दर्ज किए गए हैं। 13,60,183 यूनिट का दुरुपयोग किया गया है। 3,00,39,810 रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
किसानों की समस्या
किसानों का कहना है कि सिंचाई पंप सेटों को लगातार बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही है। इसके अलावा गुणवत्तापूर्ण बिजली भी नहीं मिल रही है। इसके चलते किसान बिजलीघर की सीधी लाइन पर हुक लगगाकर बिजली प्राप्त करते हैं।
निरंतर बिजली की आवश्यकता
किसान नेताओं का कहना है कि खेतों में हजारों रुपए खर्च कर बोरवेल खोदे गए हैं। साल भर फसल उगाने के लिए बोरवेल से लगातार पानी लेते रहना पड़ता है। इसके लिए निरंतर बिजली की आवश्यकता होती है परन्तु सरकार दिन में केवल 3-4 घंटे ही बिजली देती है। यह पर्याप्त नहीं होती है। इसके चलते किसान बिजली के खंभे पर हुक लगाते हैं।
गुणवत्तापूर्ण बिजली उपलब्ध कराएं
किसान नेताओं का कहना है कि किसानों को उस बिजली की गुणवत्ता पर भी आपत्ति है जो सरकार अब कृषि पंपसेटों को प्रदान कर रही है। अच्छी गुणवत्ता वाली बिजली के बिना पंपसेट मोटर काम नहीं करेगी। इससे सिंचाई नहीं कर पा रहे है। गुणवत्तापूर्ण बिजली उपलब्ध करानी चाहिए।
पूंजीपतियों के पक्ष में सरकार
किसान नेता गंगाधर पाटिलकुलकर्णी ने अफसोस जताते हुए कहा कि शहरवासियों को विलासितापूर्ण जीवन जीने के लिए पूरे दिन लगातार बिजली उपलब्ध कराई जाती है। चावल उगाने वाले किसान को केवल 3-4 घंटे बिजली देने पर क्या होगा? वहीं दूसरी ओर सरकार उद्योगपतियों का लाखों रुपए का बिजली शुल्क माफ करती है। जिस सरकार को किसानों के पक्ष में होना चाहिए, वह पूंजीपतियों के पक्ष में है।