केंद्रीय विश्वविद्यालय ने नैक में दर्ज की निचली रैंककेंद्रीय विश्वविद्यालय ने नैक में दर्ज की निचली रैंक

कलबुर्गी. राज्य का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय जिले के कडगंची स्थित कर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूके) ने राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) की ओर से दी गई रैंकिंग में पिछली बार की तुलना में निचले स्तर पर आ गया है।
2016 में तत्कालीन कुलपति स्व. एचएम. महेश्वरय्या के कार्यकाल के दौरान विश्वविद्यालय को बी++ रैंक दिया गया था। 2011 में नैक टीम को विश्वविद्यालय का दौरा करना था, परन्तु कुछ कारणों से, उन्होंने अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में व्यक्तिगत रूप से दौरा किया और निरीक्षण किया। अब इसके नतीजे आ गए हैं और यह बी+ रैंक हासिल कर अपने पिछले प्रदर्शन को बरकरार रखने में नाकाम रहा है।
सीयूके ने पिछले महीने नैक बोर्ड को बेंच को सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (एसएसआर) सौंपी थी। नैक बोर्ड इसके लिए 70 अंक देता है। विश्वविद्यालय के दौरे के दौरान शेष 30 अंक विश्वविद्यालय के कुलपति की ओर से उपलब्ध कराए गए विवरण के आधार पर देता है। विश्वविद्यालय के दौरे के दौरान कुलपति की ओर से दी गई रिपोर्ट और एसएसआर रिपोर्ट में मेल नहीं होने पर बोर्ड के सदस्यों ने नाराजगी जताई थी।
विश्वविद्यालय के एक प्राध्यापक ने बताया कि 2021 से अबतक विश्वविद्यालय के शिक्षण, बुनियादी ढांचे, अनुसंधान, वैज्ञानिक उपकरण, अनुसंधान पेटेंट, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध पत्रों की प्रस्तुति सहित विभिन्न कारकों के आधार पर नैक समिति विश्वविद्यालयों को रैंक देती है। कोविड के दौरान बहुत अधिक शिक्षण और प्रवचन नहीं होने के लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन मंडल की ओर से समझाइशी करने के बाद भी इसी दौरान तमिलनाडु के केंद्रीय विश्वविद्यालय को ए+ और कासरगोडु स्थित केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय को बी++ का दर्जा दिया गया है। यह कैसे संभव हुआ है?
विश्वविद्यालय के एक प्राध्यापक ने बताया कि विश्वविद्यालय में शिक्षण से अधिक अन्य गतिविधियां ही हुई थीं। इसके चलते छात्रों और प्रशासन मंडल के बीच संघर्ष बढ़ गया। कुछ मामलों में तो उन्हें थाने की सीढिय़ां भी चढऩी पड़ीं। इसके चलते अनुसंधान, अध्ययन और छात्र कल्याण पर अधिक जोर नहीं दिया जा सका।
सीयूके के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कुलपति ने नैक समिति के सामने अच्छी रिपोर्ट ही पेश की है। कोविड के कारण ज्यादा गतिविधियां नहीं हुईं। इसके चलते बी+ आया है।

महेश्वरय्या ने जिद पर अडक़र प्राप्त की थी बी++
सीयूके के एक वरिष्ठ प्राध्यापक ने बताया कि 2016 में, केवल 40 प्राध्यापक थे। विद्यार्थियों की संख्या लगभग एक हजार थी। तब नैक बोर्ड ने बी + रैंकिंग देने का फैसला किया था। इससे असहमत तत्कालीन कुलपति स्वं. एचएम महेश्वरय्या ने बोर्ड का समझाइशी कर तबतक की शैक्षणिक प्रगति प्रस्तुत कर बी++ प्राप्त किया था। अब स्थिति में सुधार हुआ है। परिसर में 180 पूर्णकालिक शिक्षण कर्मचारी और 2600 से अधिक छात्र हैं। फैकल्टी बिल्डिंग, हॉस्टल, प्रयोगशाला, विभिन्न शोधों के लिए पेटेंट, सुसज्जित अस्पताल सहित कई सुविधाएं बहुत अच्छी हैं। इसके बाद भी नैक बोर्ड ने बी+ दिया है। कहा जा रहा है कि इस बारे में समझाइशी करने में हुई चूक वजह हो सकती है।

फेलोशिप छात्रवृत्ति में होगी कटौती

एक प्राध्यापक ने खेद व्यक्त करते हुए बताया कि सीयूके को बी++ से घटाकर बी+ कर दिया गया है, इसलिए विश्वविद्यालय को मिलने वाला अनुदान कम होने की चिंता सता रही है। साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) फेलोशिप छात्रों की छात्रवृत्ति योजनाओं में भी कटौती कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो पहले से ही शैक्षणिक रूप से पिछड़े कर्नाटक के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *