प्रवास मार्ग में परिवर्तन, पर्वतीय हंसों की संख्या में गिरावटगदग जिले के मागडी झील मेंं विहार करते पर्वतीय हंस।

राज्य के आर्द्रभूमियों में एक वर्ष में 14,257 हंसों की संख्या में गिरावट

गदग. जल वायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान और वायु दबाव के कारण प्रवास मार्ग बदल रहा है। परिणामस्वरूप, राज्य के विभिन्न महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों में प्रवास करने वाले मंगोलियन पर्वतीय हंसों की संख्या में पिछले दो वर्षों से काफी गिरावट आई है।

25 दिनों तक आर्द्रभूमि में सर्वेक्षण किया

भारत और मंगोलिया के पक्षीविज्ञानियों ने हंसों के प्रवास पर वैज्ञानिक अध्ययन किया है। गदग के जैव विविधता शोधकर्ता मंजुनाथ नायक, पक्षी प्रेमी और वन्यजीव फोटोग्राफर संगमेश कडगद, विवेक, रघु कुमार, राजु, केएस मुरुगेंद्र, चंद्रु शिडेनूर, सुनील कुमार, वीरेश और वन विभाग के कर्मचारियों ने 25 दिनों तक आर्द्रभूमि में सर्वेक्षण किया है।

पहाड़ी हंसों की संख्या में गिरावट दर्ज की

इस टीम ने गदग जिले के मागडी झील, दावणगेरे जिले के कोंडज्जी झील, बागलकोट जिले के बैकवाटर क्षेत्र, बीदर जिले के विभिन्न आर्द्रभूमि, कोप्पल जिले के निडशेसी झील और मैसूर जिले की सोलह झीलें समेत मंड्या और विजयनगर जिलों के जलाशयों के बैकवाटर क्षेत्रों में सर्वेक्षण किया है। शीतकाल में प्रवास करने वाले पहाड़ी हंसों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।

14,257 हंस कम हुए हैं

पिछले वर्ष, बागलकोट, बीदर, दावणगेरे, गदग, कोप्पल, मैसूर, मंड्या, विजयनगर, हावेरी और रायचूर जिलों में 41,338 पहाड़ी हंस देखे गए थे परन्तु इस वर्ष केवल 27,081 हंस देखे गए, यानी 14,257 हंस कम हुए हैं।

मूल देशों को लौट रहे हैं

गर्मियों की शुरुआत से पहले तापमान में अंतर के कारण, बीदर, रायचूर, बागलकोट और कोप्पल जिलों में प्रवासी पक्षी जनवरी-फरवरी के दौरान अपने वतन लौट जाते थे। अन्य जिलों की झीलों में रहने वाले हंस फरवरी-मार्च के पहले सप्ताह में अपने मूल देशों को लौट रहे हैं।

गिरावट का कारण

दो वर्षों से पहाड़ी हंस बड़ी संख्या में गदग जिले के मागडी झील में आ रहे थे। झील का पानी दिखाई नहीं दे रहा था इस प्रकार वे फैले हुए थे परन्तु हाल ही में वोश्विक तापमान, जल वायु परिवर्तन की घटनाओं और फसल परिवर्तन से भोजन की कमी के कारण हंसों की प्रवासी संख्या में कमी आई है।

34.4 प्रतिशत की गिरावट

हमारी टीम ने देश के विभिन्न शोधकर्ताओं से भी संपर्क किया है जिन्होंने प्रवासी पक्षियों पर निरंतर अध्ययन किया है। कर्नाटक की तरह अन्य राज्यों में भी प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी आई है। चालू वर्ष में राज्य में प्रवासी पक्षियों के आगमन में 34.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस पर कई वैज्ञानिक अध्ययन किए जा रहे हैं।
मंजुनाथ नायक, शोधकर्ता, जैव विविधता

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