पर्यावरण अनुकूल परियोजना की मांगपश्चिमी घाट

राज्य बजट में अतिरिक्त पर्यावरण संरक्षण परियोजनाओं की घोषणा की उम्मीद

कारवार. विशाल वन क्षेत्र वाला, पश्चिमी घाट से होकर गुजरने वाला, राज्य की सीमा पर स्थित, तथा मलनाड-तटीय-मैदानी क्षेत्र को अपने में समाहित उत्तर कन्नड़ जिले को विकास परियोजनाओं के कारण जितना लाभ हुआ है, उससे कहीं अधिक नुकसान उठाना पड़ा है। इसके चलते पर्यावरण विशेषज्ञों ने राय व्यक्त की है कि केवल पर्यावरण अनुकूल परियोजनाएं ही जिले के लिए लाभदायक हैं।

राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार सहित विभिन्न परियोजनाओं के लिए मिट्टी की खुदाई के कारण पिछले कई वर्षों से वनों की कटाई और भूस्खलन की घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए, यह उम्मीद बढ़ रही है कि 7 मार्च को पेश किए जाने वाले राज्य बजट में अतिरिक्त पर्यावरण संरक्षण परियोजनाओं की घोषणा की जा सकती है।

भूस्खलन रोकथाम योजना घोषित करने की उम्मीद

2020 में सिरसी तालुक के जाजीगुड्डे में, 2021 में यल्लापुर तालुक के कलचे में और 2024 में अंकोला के शिरूर में भूस्खलन से लोगों में दहशत फैल गई थी। इनके अलावा कई स्थानों पर भूस्खलन के कारण मकान और कृषि भूमि के नष्ट होने की घटनाएं भी हुई हैं।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 439 स्थानों पर भूस्खलन का खतरा है। बड़े बांध क्षेत्र के पास भी टूटने की चेतावनी जारी की गई है परन्तु भूस्खलन को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिए बड़ी मात्रा में अनुदान की आवश्यकता है, राज्य के बजट में भूस्खलन रोकथाम योजना की घोषणा की जाने की उम्मीद है।

र्यावरण तथा समुद्र तटों को संरक्षित किया जा सकता है

पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील जिले में वनों, समुद्र तटों और समुद्र का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। विकास के नाम पर बंदरगाह बनाने और पर्यटन के नाम पर जंगलों को नष्ट करने तथा इमारतें बनाने के बजाय पूर्वोत्तर भारत और केरल की तर्ज पर पर्यावरण अनुकूल पर्यटन परियोजना की घोषिण्त कर पर्यावरण तथा समुद्र तटों को संरक्षित किया जा सकता है। सरकार को जिले में लघु उद्योगों की स्थापना के लिए अतिरिक्त अवसर पैदा करने के लिए कदम उठाने चाहिए। ट्रैकिंग और हाइकिंग जैसी पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए योजना बनानी चाहिए।

वी.एन.नायक, पर्यावरण विशेषज्ञ

पायलट परियोजना की घोषणा करनी चाहिए

जिले में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने को प्राथमिकता देने के लिए पूरक अवसर मौजूद हैं। लघु जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना और सौर पैनलों के माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए एक उपयुक्त योजना तैयार की जा सकती है। तटीय क्षेत्र में पर्यटन स्थलों के पार्किंग स्थलों पर ही सौर पैनल लगाने और बिजली पैदा करने के लिए एक पायलट परियोजना की घोषणा करनी चाहिए।

महाबलेश्वर हेगड़े साईमने, पर्यावरण शोधकर्ता, कनाडा विन्निपेग विश्वविद्यालय

गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करें

जिले में कृषि, बागवानी, मत्स्य एवं वानिकी लघु उत्पादों के मूल्य संवर्धन के माध्यम से बड़े पैमाने पर बाजार ढूंढना संभव है परन्तु नए उद्यमियों को गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला के बिना अपने मूल्यवर्धित उत्पादों की ब्रांडिंग करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में एक प्रयोगशाला स्थापित करने की आवश्यकता है। भूस्खलन को रोकने के लिए सस्ती, अत्यधिक टिकाऊ मृदा स्थिरीकरण को लागू करना संभव है। इसके लिए आपदा प्रबंधन कोष (डीएएमएफ) में केन्द्र सरकार के हिस्सा को भी प्राप्त करने के लिए बजट में ही उपयुक्त योजना की घोषणा करनी चाहिए।

केशव एच. कोर्से, जीवविज्ञानी, पर्यावरण संरक्षण

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