इंदिरा ग्लास हाउस, महात्मा गांधी स्मारक उद्यान
स्मार्ट सिटी योजना के तहत विकसित
हुब्बल्ली. शहर के मध्य में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत विकसित इंदिरा ग्लास हाउस और महात्मा गांधी स्मारक उद्यान (मेमोरियल पार्क) उचित रखरखाव के अभाव में आंशिक रूप से खंडहर बना हुआ है।
यह उद्यान 17.5 एकड़ में फैला हुआ है और इसे 25.11 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया गया है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद इसकी सुंदरता धूमिल हो गई है। उद्यान में कदम रखते ही अव्यवस्था आंखों को चुबती है।
जगह-जगह कूड़े के ढेर, शराब की बोतलें और सूखे पौधे परेशानी का सबब बने हुए हैं। यह उद्यान से ज्यादा अव्यवस्था का ठिकाना प्रतीत होता है। यह आराम करने और टहलने आने वालों के लिए असहनीय बना हुआ है। सुबह 6 बजे से 9 बजे तक प्रवेश नि:शुल्क है। सुबह 9 से रात 8 बजे तक 5 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए 20 रुपए प्रवेश शुल्क है। पर्याप्त सुविधाओं के अभाव के कारण यहां पर्यटकों की संख्या में कमी आ रही है।
घटी आय
उद्यान के एक कर्मचारी ने बताया कि जब स्मार्ट सिटी की ओर से निविदा प्राप्त करने वाले रखरखाव कर रहे थे, तो सप्ताहांत में प्रवेश शुल्क 5,000 से 6,000 रुपए प्रतिदिन और सप्ताह के दिनों में 3,000 से 4,000 रुपए प्रतिदिन संग्रह होता था। अब यह घटकर 1,500 रुपए प्रतिदिन हो गया है।
उपकरण भी हुए क्षतिग्रस्त
विकलांगों और आम जनता के लिए अलग-अलग शौचालय हैं परन्तु उनके दरवाजे टूटे हुए हैं। शौचालय तोड़ दिए गए हैं। कुछ बंद हैं। इसमें गाय और भैंसों सहित 29 कलाकृतियां हैं परन्तु उनके कान और सींग टूटे हुए हैं। उन्होंने अपना आकर्षण खो दिया है। बच्चों के खेलने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले झूले और अन्य उपकरण भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
सीवेज जमा होने से आ रही दुर्गंध
उद्यान में टहलने आए (वाकिंग) रमेश ने कहा कि हर जगह घास उग आई है, जिससे यह जहरीले जानवरों का निवास स्थान बन गया है। इससे डर के साए में चलना पड़ता है। जल निकासी व्यवस्था क्षतिग्रस्त हो गई है, सीवेज जमा होने से दुर्गंध आ रही है।
घास उग आई है
उद्यान के चारों ओर खिलौना रेलगाड़ी की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए एक ट्रैक बनाया गया है। इस पर कूड़ा-कचरा डाला गया है। संगीत फव्वारा (म्यूजिकल फाउंटेन) देखने के लिए बनाए गए एम्फीथियेटर में भी घास उग आई है। उद्यान में आठ फूड कोर्ट हैं, जिनमें से केवल एक ही खुला रहता है।
कम्पोस्ट इकाई बंद
उद्यान में पौधों के लिए उर्वरक बनाने के लिए एक वर्मीकम्पोस्ट इकाई का निर्माण किया गया है। यह कचरे से भरा हुआ है और कोई उर्वरक नहीं बनाया जा रहा है।
उद्यान परिसर में एक जीर्ण-शीर्ण इमारत है। इसमें पुरानी चीजें संग्रहित की गई हैं। लोगों की मांग है कि इसे गिरा कर विकास कार्य कराने चाहिए।
गैलरी भी नहीं, कोई मछलीघर भी नहीं
कुंचब्रह्मा एम.वी. मिणजगी आर्ट गैलरी भवन को स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत एक्वेरियम (मछलीघर) में परिवर्तित कर दिया गया है परन्तु वर्तमान में वहां कोई गैलरी नहीं है, और एक्वेरियम भी शुरू नहीं हुआ है।
कर्मचारियों को वेतन नहीं
कर्मचारियों ने कहा कि उद्यान में कुल 14 कर्मचारी हैं, जिनमें सुरक्षाकर्मी, चौकीदार और काउंटर कर्मचारी शामिल हैं। पांच महीने से वेतन नहीं मिला है। इसके चलते कुछ लोगों ने अपनी नौकरी छोड़ दी है।
आधुरा छोड़े हुए दो साल हो गए
नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि स्मार्ट सिटी की ओर से उद्यान के रखरखाव का ठेका 37 लाख रुपए में दिया गया था। निविदा प्राप्त करने वालों ने उद्यान से अपेक्षित राजस्व नहीं आ रहा कहते हुए उद्यान को आधुरा छोड़े हुए दो साल हो गए हैं।
चली नहीं टॉय ट्रेन
मनोरंजन के लिए उद्यान में टॉय ट्रेन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है परन्तु रेलगाड़ी चलने की बजाय ज्यादा रुकी है। इससे पहले एक लडक़े की ट्रेन से गिरकर मौत होने की भी एक घटना हुई थी। इस परियोजना की लागत 4.20 करोड़ रुपए है और इसमें दो इंजन के साथ चार कोच हैं। दो स्टेशन, दो टिकट काउंटर बनाए गए हैं। ड्राइवर को सीसीटीवी कैमरा मॉनिटरिंग, डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड और सोलर रूफ समेत सभी सुविधाएं हैं। कोचों में बच्चों और वयस्कों के लिए 108 सीटें हैं और उद्यान के चारों ओर 960 मीटर का ट्रैक बनाया गया है। बच्चों की परीक्षाएं जल्द ही खत्म हो जाएंगी और गर्मी की छुट्टियां शुरू हो जाएंगी। इसलिए लोगों की मांग है कि टॉय ट्रेन सेवा तुरंत शुरू करनी चाहिए।
संगीत फव्वारे के लिए नहीं आ रहे लोग
कर्मचारियों का कहना है कि उद्यान में 4.67 करोड़ रुपए की लागत से आधुनिक तकनीक वाला संगीतमय फव्वारा और एम्फीथियेटर का निर्माण किया गया है परन्तु उम्मीद के मुताबिक उतने लोग देखने नहीं आ रहे हैं। यहां का रंगबिरंगा संगीतमय फव्वारा इसलिए विशेष है, क्योंकि यह दृश्यों के माध्यम से जुड़वां शहरों के इतिहास को दर्शाता है। पानी से बनी एक विशेष स्क्रीन पर लेजर वीडियो शो भी दिखाया जाता है। कभी-कभी दस से भी कम लोग आते हैं। अगर तब वे इसे शुरू करेंगे तो बिजली का बिल आय से ज्यादा आएगा।
महानगर निगम की जिम्मेदारी
स्मार्ट सिटी की ओर से उद्यान को हस्तांतरित करने के दौरान उचित निरीक्षण करना चाहिए था। अब उद्यान बर्बाद हो गया है। इसकी जिम्मेदारी महानगर निगम की है।
–रेवण सिद्धप्पा, सदस्य, हुब्बल्ली महात्मा गांधी उद्यान विकास मंच
रखरखाव के लिए जल्द ही निविदा
स्मार्ट सिटी ने ठेकेदार को बर्खास्त कर उद्यान को निगम को हस्तांतरित किया है। वर्तमान में उद्यान का रखरखाव जोन कार्यालय-9 की ओर से किया जा रहा है। लोगों को बेहतर सेवा प्रदान करने की खातिर रखरखाव के लिए जल्द ही निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी। नगर निगम को इससे प्राप्त आय पर ही चलना नहीं है। यदि इसका ठीक तरह से रखरखाव किया जाए तो यही पर्याप्त है।
–विजयकुमार, उपायुक्त (विकास), हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम