धारवाड़: स्वतंत्रता सेनानी स्मारक संरक्षण की मांग जोर पकड़ रहीधारवाड़ के जकनी बावड़ी के सामने निर्मित शहीद स्मारक।

1919-1920 के आंदोलनों में शहीद हुए तीन सेनानी स्मृति में स्मारक

हुब्बल्ली. 1919 में तुर्की के खिलाफ ब्रिटिश नीति और खलीफा की समाप्ति के विरोध में भारतीय मुसलमानों की ओर से शुरू किए गए खिलाफत आंदोलन और 1920 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में आरंभ हुए असहयोग आंदोलन में धारवाड़ के तीन स्वतंत्रता सेनानी शहीद हुए।

इतिहासकारों के अनुसार, धारवाड़ में हिंदू और मुसलमान समुदायों ने मिलकर आंदोलन का समर्थन किया। उस समय तत्कालीन जिलाधिकारी एचएल पेंटर ने खिलाफत आंदोलन के दो स्वयंसेवकों को छह माह की कठोर सजा सुनाई।

31 जून 1921 को जकनी बावड़ी के सामने शराब दुकान के विरोध में प्रदर्शन हुआ। जिलाधिकारी ने झूठा आरोप लगाते हुए गोली चलाने का आदेश दिया। घटना में मलिकसाब बिन मर्दान साब, गौससाब बिन खादर साब और अब्दुल खादर चौकताई शहीद हो गए। इस गोलीबारी में 29 लोग घायल हुए। घायल प्रदर्शनकारियों पर झूठे मुकदमे दर्ज किए गए। बाद में स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय ने कैदियों से भेंट की और सार्वजनिक सभा में भाषण दिया। धारवाड़ गजेटियर में इसका उल्लेख है।

शहीद स्मारक और शताब्दी समारोह

तीनों शहीदों की याद में धारवाड़ में स्मारक बनाया गया। यह स्मारक 2021 में शताब्दी समारोह के दौरान स्थापित किया गया। तीनों शहीदों की कब्रें धारवाड़ के होसयल्लापुर मुस्लिम कब्रिस्तान में स्थित हैं। हर साल 1 जुलाई को सामाजिक कार्यकर्ता शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

स्थानीय जागरूकता और शिक्षा का केंद्र

इतिहासकारों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि स्मारक और कब्रों का संरक्षण नई पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से अवगत कराता है।

धारवाड़ के नागरिक भी स्मारक के नियमित रख-रखाव और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। स्थानीय स्कूल और कॉलेज के छात्र इसे शिक्षा और जागरूकता के केंद्र के रूप में देखना चाहते हैं।

स्मारक न केवल इतिहास की याद दिलाता है, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन चुका है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों की मांग है कि शहीद स्मारक का संरक्षण सुनिश्चित किया जाए और इसे आने वाली पीढिय़ों तक सुरक्षित रखा जाए।

शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करे जिला प्रशासन

स्मारक और कब्रें स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक हैं। स्मारक परिसर में शहीदों का विवरण दर्ज होना चाहिए। कब्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। जिला प्रशासन को हर वर्ष 1 जुलाई को आधिकारिक रूप से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए।
उदय यंडिगेरी, सामाजिक कार्यकर्ता

ब्रिटिश सरकार ने जानबूझकर उनकी हत्या की

ये तीनों गांधीजी की अध्यक्षता में गठित खिलाफत और असहयोग आंदोलन समिति में धारवाड़ के सक्रिय कार्यकर्ता थे, जिसने असहयोग आंदोलन को एकजुट किया। ब्रिटिश सरकार ने जानबूझकर उनकी हत्या कर दी थी।
शिवानंद शेट्टर, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, कवि, धारवाड़

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