हुब्बल्ली. विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के राज्य आयुक्त दास सूर्यवंशी ने कहा कि धारवाड़ जिले में सर्व शिक्षा अभियान के तहत तीन हजार दिव्यांग बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। स्कूलों में शिक्षकों की कमी और शिक्षण सामग्री की भी कमी है।
शहर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सूर्यवंशी ने कहा कि दिव्यांग बच्चों को कर्नाटक आवासीय शैक्षणिक संस्थान संघ (सीआरआईएस) के आवासीय विद्यालयों में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा नहीं देनी पड़ती है। सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना (आरबीएसके) के तहत 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को मुफ्त स्वास्थ्य जांच की सुविधा प्रदान की जा रही है।
उन्होंने कहा कि विकलांगों के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें समूह ए और बी के पदों में 4 प्रतिशत तथा समूह सी और डी के पदों में 5 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के लिए अधिनियम में आदेश दिया गया है। राज्य में विभिन्न विभागों में 7,000 दिव्यांगजन कार्यरत हैं।
सूर्यवंशी ने कहा कि सभी विभागों में 5 प्रतिशत अनुदान दिव्यांगों के विकास के लिए निर्धारित करनी चाहिए। योजनाओं और लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिए। सरकार को बजट में एससीपी और टीएसपी के लिए आरक्षित अनुदान की तर्ज पर दिव्यांगों के लिए अनुदान आवंटित करने की खातिर कदम उठाने चाहिए। अधिकारियों को विकलांगों को भी सुवधिाएं पहुंचाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि पुलिस थाने में विकलांगों के लिए सांकेतिक भाषा जानने वाले लोग होने चाहिए। बोल नहीं सकते, जो सुन सकते ऐसे लोगों से संकेतों के माध्यम से जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
इस अवसर पर दिव्यांगजन विभाग के जिला अधिकारी जगदीश उपस्थित थे।
फर्जी प्रमाण पत्र; स्वेच्छा से शिकायत दर्ज करने का अवसर
दास सूर्यवंशी ने कहा कि किसी अपात्र व्यक्ति के विकलांग पहचान पत्र का लाभ प्राप्त करता पाया जाता है तो अधिनियम को पत्र लिखकर सूचित कर सकते हैं। इसमें स्वेच्छा से शिकायत दर्ज करने का अवसर है। यदि फर्जी प्रमाण पत्र के संबंध में शिकायत दर्ज की जाती है तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों को जिले में दिव्यांगों की मासिक बैठक आयोजित करनी चाहिए।