हुब्बल्ली. राज्य के कानून और पर्यटन मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि जाति, पंथ, भाषा या क्षेत्र की परवाह किए बिना सभी भक्तों को आशीर्वाद देने की परंपरा ही देश भर में सिद्धारूढ़मठ की प्रसिद्धि का कारण है।
वे शहर में शिवरात्रि महोत्सव के उपलक्ष्य में विश्व शांति के लिए विश्व वेदांत परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम में श्री सिद्धारूढ़ भारती कल्पद्रुम पुस्तक का विमोचन कर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि सभी एक हैं, इस आदर्श ने ही मठ को शिखर तक पहुंचाया है। हम सभी माइक के सामने खड़े होते हैं तो मात्र आदर्श पर बोलते हैं। मंच से उतरते ही आप किस जाति से हैं, कौन सी जनजाति के हैंैं? कहकर के जाति संघर्ष में डूब जाते हैं।
पाटिल ने चिंता व्यक्त की कि साधु-संत निरंतर सिद्धारूढ़ के सभी एक हैं वाले सिद्धांत का प्रचार करते रहते हैं। फिर भी भारतीय समाज से भेदभाव अभी तक खत्म नहीं हुआ है। संदेह और आशंकाएं अभी भी बनी हुई हैं।
आज विश्व अतिक्रमण, युद्धों से अशांति, अराजकता से त्रस्त है। इसमें संदेह है कि कौन सा देश बचेगा या विश्व नष्ट हो जाएगा। विश्व शांति के लिए आध्यात्मिक साधना करने वाली वेदांत परिषद संस्था का कार्य ऐसी परिस्थितियों में सराहनीय है।
इस अवसर पर श्री सिद्धरूढ़मठ ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष बसवराज कल्याणशेट्टर, उपाध्यक्ष मंजुनाथ मुनवल्ली, विश्व वेदांत परिषद समिति के अध्यक्ष श्यामानंद पुजेरी, विश्व वेदांत परिषद स्वागत समिति के मानद अध्यक्ष डीआर पाटिल, कार्यकारी अध्यक्ष केएल पाटिल, ट्रस्ट समिति के मानद सचिव सर्वमंगला पाठक, ट्रस्टी बालु मगजीकोंडी, डॉ. गोविंद मन्नूर, चेन्नवीर मुंगरवाडी, उदयकुमार नायक, रमेश बेलगावी, विनायक घोडके, गीता कलबुर्गी आदि उपस्थित थे।