वन क्षेत्र में आग आपदा की आशंकामोलकाल्मूरु तालुक के कमरा कावलु में हाल ही में जंगल में लगी आग से जले पेड़-पौधे।

अग्निशमन किटों की संख्या बढ़ाने की मांग

मोलकाल्मूरु (चित्रदुर्ग). जैसे-जैसे तालुक में सूर्य की तीव्रता बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे आरक्षित वन क्षेत्रों में आकस्मिक आग की घटनाएं बढऩे का खतरा बढ़ रहा है।

तालुक में मारम्मनहल्ली, तुमकुरलहल्ली, बी.जी. केरे तालाब, मत्तिगारहल्ली, म्यासरहट्टी, मुष्टलगुम्मी, बांड्रावी, कृष्णराजपुर, संतेगुड्डा, शहर के रायदुर्ग रोड, नुंकिमले हिल और कूगेबांडी के आसपास वन क्षेत्र फैला है।
इनमें से कमरा कावलु और बांड्रावी आरक्षित वन क्षेत्रों में हजारों हेक्टेयर वन क्षेत्र है।

प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती रहेंगी

हर साल गर्मियों में आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं, इस साल घास की अधिक वृद्धि के कारण आपदा की गंभीरता बढऩे का खतरा है। कुछ घटनाएं पहले ही रिपोर्ट की जा चुकी हैं, गर्मी का मौसम आने वाला है, इसलिए आशंका है कि यदि एहतियाती उपाय नहीं किए गए तो प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती रहेंगी।

विभाग की लापरवाही

स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले सप्ताह कस्बे के रायदुर्ग रोड स्थित जंगल में आग लगने से 10 एकड़ में लगे पेड़-पौधे और छोटे जीव-जंतु नष्ट हो गए। बी.जी. झील के पास कमरा कावलु में 5 एकड़ से अधिक घना जंगल जलकर खाक हो गया। यह विभाग की लापरवाही और कर्मचारियों की ओर से ठीक से गश्त नहीं करने के कारण हुआ है।

जागरूकता पैदा करने के बावजूद, कोई मदद नहीं मिली

तालुक क्षेत्रीय वन अधिकारी श्रीहर्ष ने बताया कि चरवाहों के बीच यह अंधविश्वास आम है कि गर्मियों में सूखी घास जलाने से बरसात में अच्छी तरह उगते हैं, इसलिए वे घास में आग लगा देते हैं। यह हवा के माध्यम से फैल कर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा रही है। इस बारे में काफी जागरूकता पैदा करने के बावजूद, इससे कोई मदद नहीं मिली है। इसके अलावा, शराब पीने वालों और सडक़ किनारे धूम्रपान करने वालों की ओर से जलाई गई आग के कारण भी आग लगने की घटनाएं हो रही हैं।

अधिक किटों की आवश्यकता

उन्होंने बताया कि तालुक में दिसंबर में बारिश हुई थी। तब से आग लगने की दुर्घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। सरकार को उपलब्ध कराई जाने वाली अग्निशमन किटों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। तालुक को एक किट उपलब्ध कराई जा रही है। अभयारण्यों को अधिक किट दिए जा रहे हैं। मोलकाल्मूरु तालुक जैसे झाड़ीदार वन क्षेत्र में आग लग जाए तो वह बहुत तेजी से फैलती है। इसलिए अधिक किटों की आवश्यकता है और इसके लिए अनुरोध किया गया है।

जागरूकता बढ़ाने की पहल करे

ग्रामीण रामांजनेय ने कहा कि विभाग को चरवाहों और पशुपालकों के बीच प्रकृति के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की पहल करनी चाहिए। इससे घटनाओं पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है।

प्रति किट की कीमत 20 हजार रुपए

अधिकारियों ने बताया कि प्रत्येक किट में अग्निशामक यंत्र, घास काटने के उपकरण और एक छोटी पवनचक्की शामिल होती है। बंडीपुर जैसे वन क्षेत्रों में अधिक किट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। प्रति किट की कीमत 20 हजार रुपए है।

वन विभाग के कर्मियों की ओर से गश्त की कमी

किसान संघ के टी. चन्द्रण्णा ने बताया कि पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश की सीमा पर स्थित वन क्षेत्र में प्रतिदिन सैकड़ों लोग शराब पीने आते हैं। धूम्रपान के लिए आग लगाई जाती है, तो आग घास तक फैल जाती है, जिससे अग्नि आपदा उत्पन्न होती है। पिछले सप्ताह रायदुर्ग रोड के पास आग लगने की घटना का यही कारण है। इसका कारण वन विभाग के कर्मियों की ओर से गश्त की कमी है।

आग की 9 घटनाएं सामने आई हैं

फरवरी महीने में मोलकाल्मूरु तालुक के वन क्षेत्र में आग की 9 घटनाएं सामने आई हैं। इस साल घास बहुत ज़्यादा बढ़ गई है और सूख गई है, जिससे मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
श्रीहर्ष, क्षेत्रीय वन अधिकारी, मोलकाल्मूरु

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