कप्पतगुड्डा में उपद्रवियों की ओर से आग लगाने की आशंकाआग में जला कप्पतगुड्डा वन क्षेत्र।

वन विभाग ने चरवाहों में वन संपदा के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने का लिया निर्णय

गदग. गर्मियां आ रही हैं। कप्पतगुड्डा में हरियाली से भरपूर झाड़ीदार जंगल के पेड़ों के पत्ते गिरे हैं। घास सूखकर काली हो गई है। पहाड़ी पर चल रही हवा के साथ गर्मी भी बढ़ गई है। इस बीच शरारती तत्वों की ओर से जानबूझकर कप्पतगुड्डा में आग लगाने की आशंका बनी हुई है।

पौधों का स्वास्थ्य खराब हुआ

11 फरवरी को कुछ उपद्रवियों की ओर से लगाई गई चिंगारी के कारण कप्पतगुड्डा में 25 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में आग लग गई थी। वन विभाग के कर्मचारी आग बुझाने के लिए दिन-रात जुटे रहे। हालांकि इस घटना में केवल सूखी घास ही जली, परन्तु आग से वहां मौजूद औषधीय पौधे भी प्रभावित हुए। पौधों का स्वास्थ्य खराब हुआ है।

पौधे या जानवर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा

गदग के डीसीएफ संतोष कुमार केंचन्नवर ने बताया कि जंगल में स्वत:स्फूर्त आग लगना दुर्लभ है। 11 फरवरी को लगी आग जानबूझकर की गई कार्रवाई थी। यह इस वर्ष का पहला मामला है। आग लगाने वाले उपद्रवियों को ढूंढने के लिए कार्रवाई की गई है। 11 फरवरी को पहाड़ी पर आग लगते ही कर्मचारी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने आग बुझाने की कोशिश की। हवा तेज चल रही थी इस कारण आग तेजी से फैल रही थी। वन विभाग के कर्मियों और आसपास के गांवों के लोगों के सहयोग से आखिरकार आग बुझा दी गई। इस घटना से किसी भी पौधे या जानवर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।

वन संरक्षण में लगे वन विभाग के कर्मचारी

उन्होंने बताया कि कप्पतगुड्डा 32,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इस पहाड़ी तक जाने के लिए हजारों द्वार हैं। हर जगह कर्मचारियों की ओर से निगरानी की जा रही है। इसके बावजूद ऐसी घटनाएं समय-समय पर होती रहती हैं। वन विभाग के कर्मचारी सभी चुनौतियों का सामना करते हुए वन संरक्षण में लगे हुए हैं।

चरवाहों के बीच जागरूकता बढ़ाने की कोशिश

वन विभाग के कर्मियों ने आग पर काबू पाने के लिए फायर लाइन बनाने सहित कई एहतियाती कदम उठाए हैं। वन विभाग का अमला इस बार खासकर जंगल में भेड़ चराने आने वाले चरवाहों के बीच जागरूकता बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

आग दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी

डीसीएफ ने बताया कि कप्पतगुड्डा क्षेत्र में क्षेत्रीय वन अधिकारी विशेष रूचि ले रहे हैं तथा चरवाहों के घरों का दौराकर उनमें जागरूकता पैदा कर रहे हैं। वे लोगों को जंगल की आग से होने वाली आपदाओं के बारे में शिक्षित कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि हमारे प्रयासों से भविष्य में होने वाली आग दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी।

असंवेदनशील जनप्रतिनिधि

नंदीवेरी मठ के शिवकुमार स्वामी ने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर कर्नाटक के सह्याद्रि माने जाने वाले कप्पतगुड्डा की सुरक्षा के मामले में विधायकों, सांसदों और मंत्रियों ने अपनी संवेदनशीलता खो दी है। इतनी बड़ी आग आपदा के बावजूद वन विभाग मंत्री और जिला प्रभारी मंत्री ने इसका दौरा कर निरीक्षण नहीं किया है।

कप्पतगुड्डा की सुरक्षा के लिए कार्रवाई करें

उन्होंने कहा कि मुझे यहां आए 21 साल हो गए हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। पेड़ों पर कुल्हाड़ी पडऩा कम हुआ था। वन विभाग का पहरा बढ़ गया था। कर्मचारियों की गश्त बढऩे के कारण जंगल अच्छा था परन्तु 11 फरवरी को जो घटना घटी वह जानबूझकर की गई थी। इससे एक हजार एकड़ क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। कपतगुड्डा को इस हालत में देखकर मुझे दुख होता है। जिम्मेदार पदों पर आसीन मंत्रियों में संवेदनशील गुण होने चाहिए। कप्पतगुड्डा की सुरक्षा के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।
शिवकुमार स्वामी ने कहा कि हर माह के दूसरे रविवार को नंदीवेरी मठ से शुरू होने वाले कप्पतगुड्डा ट्रेकिंग के दौरान, राज्य के विभिन्न भागों से आए पर्यटक जहां आग लगी थी उस स्थान से अपना ट्रेकिंग शुरू किया।

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