आश्रय के लिए संघर्ष कर रहे मछुआरेहोन्नावर तालुक के टोंक में 25 फरवरी को वाणिज्यिक बंदरगाह योजना के विरोध में समुद्र में उतरने वालों को हिरासत में लेती पुलिस।

वाणिज्यिक बंदरगाह योजना को कड़ा विरोध

प्रदर्शन करने पर कानूनी कार्रवाई का डर

कारवार. होन्नावर तालुक के टोंक में एक मछुआरा परिवार की महिलाएं आंसू बहाती हुई कहा कि तीन दशक पहले, आवासीय उद्देश्यों के लिए 30 गुणा 40 आकार के भूखंड वितरित कर पट्टे दिए गए थे। अब वाणिज्यिक बंदरगाह बनाने के लिए घर हटाने का निर्णय लिया गया है। विरोध प्रदर्शन करने पर झूठा मामला दर्ज किया गया है। हम खौफ में ही दिन बिता रहे हैं। उन्होंने प्रशासनिक व्यवस्था को कोसा।

यह होन्नावर की स्थिति है। इस बीच, मछली पकडऩे की गतिविधियां बहुत अधिक होती हैं वहां पुलिस अंकोला के केणी समुद्र तट पर पहरा दे रही है। नावें लंगर डाले खड़ी हैं।

मछली पकडऩा ठप्प

वाणिज्यिक बंदरगाह निर्माण परियोजना से मछुआरे खौफ में हैं। मछुआरों की शिकायत है कि अपनी आजीविका के नुकसान के खिलाफ आंदोलन करने से रोकने के लिए प्रतिबंध की आड़ में दमन करने का काम किया जा रहा है। इसके कारण अब होन्नावर के टोंक और अंकोला के केणी में मछली पकडऩा ठप्प हो गया है।

झूठा मामला दर्ज किया

होन्नावर के गणपति तांडेल ने कहा कि कासरगोड को वाणिज्यिक बंदरगाह टोंक से जोडऩे वाली सडक़ के लिए भूमि अधिग्रहण की खातिर 25 फरवरी को सर्वेक्षण किया गया है। इसके बाद निषेधाज्ञा लागू कर दी गई, 45 लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास का गंभीर मामला दर्ज किया गया और 20 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। परियोजना के प्रभावों को समझाने के लिए 25 फरवरी को मुख्यमंत्री से मिलने बेंगलूरु गए मेरे और मेरी पत्नी के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया है।

धमकाने का प्रयास

केणी के ग्रामीणों ने कहा कि गांव में अभी भी पुलिस गश्त जारी है। परियोजना का विरोध करने वालों की जानकारी जुटाने और डराने-धमकाने का प्रयास किया जा रहा है।

केणी में सर्वेक्षण जारी

केणी के हुआ खंडेकर ने कहा कि स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद केणी में सर्वेक्षण जारी है। आंदोलन को रोकने के लिए निषेधाज्ञा लगाई गई है। इससे चार या पांच लोग एक साथ मछली पकडऩे भी नहीं जाने की स्थिति पैदा हो गई है। टोंक के निकट मल्लुकुर्वा में वाणिज्यिक बंदरगाह बनाने के लिए 2010 में होन्नवर पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड को 93 एकड़ भूमि सौंपी गई थी। विरोध के कारण परियोजना फिलहाल रुकी हुई है। कासरगोड के एक व्यक्ति ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में एक याचिका दायर कर इस परियोजना को बंद करने की मांग की है। यह मामला अभी जांच के चरण में है इसी बीच सर्वेक्षण प्रक्रिया चल रही है। जेएसडब्ल्यू कंपनी 4,200 करोड़ रुपए की लागत से केणी, अंकोला में ग्रीनफील्ड बंदरगाह स्थापित करने के लिए भू-व्यवहार्यता सर्वेक्षण कर रही है।

बंदरगाह विकास के कारण पर्यावरण विनाश

पर्यावरणविद् सुरेश हेबलीकर ने कहा कि अंकोला के केणी में वाणिज्यिक बंदरगाह के निर्माण से पश्चिमी घाट और तटीय क्षेत्रों में पर्यावरणीय विनाश होगा। वे स्थानीय लोगों के साथ इस परियोजना पर चर्चा करने के लिए जिले का दौरा करेंगे।

पर्यटन का विकास किया जा सकता है

उन्होंने कहा कि केणी बंदरगाह क्षेत्र देश का एक प्राकृतिक रूप से सुन्दर स्थान है। वहां पर्यटन का विकास किया जा सकता है। समुद्र तट और पश्चिमी घाट मिलने वाले राज्य का खूबसूरत क्षेत्र जिले के पूरे समुद्र तट को नष्ट करके बंदरगाह का निर्माण करना उचित नहीं है।

अधिक वन नष्ट हो जाएंग

हेबलीकर ने कहा कि केणी में वाणिज्यिक बंदरगाह के निर्माण से मछुआरों को अन्य रोजगार के लिए शहर में जाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। राजमार्गों के विस्तार के कारण अधिक वन नष्ट हो जाएंगे। इसके बजाय, करवार, मलपे और मेंगलूरु के मौजूदा बंदरगाहों का उपयोग व्यापार के लिए किया जा सकता है।

मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं

टोंक में परियोजना के लिए अपने घर खोने वालों को मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है। इस बारे में सरकारी स्तर पर निर्णय लिया जाना चाहिए।
कैप्टन सी. स्वामी, निदेशक, बंदरगाह एवं जल परिवहन बोर्ड

लोगों के जीवन पर पड़ेगा प्रभाव

वाणिज्यिक बंदरगाह परियोजना के क्रियान्वयन से जिले का पर्यावरण नष्ट हो जाएगा। जिस परियोजना का उपयोग नहीं हो रहा है, उसका प्रभाव लोगों के जीवन पर पड़ेगा।
वी.एन. नायक, पर्यावरण विशेषज्ञ

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