नगर परिषद: फिर से बदला संख्या बल
सदस्यता रद्द करने के आदेश पर अदालत की रोक
27 फरवरी को आरसी के सामने सुनवाई को पेश होने का निर्देश
गदग. धारवाड़ उच्च न्यायालय की पीठ ने फर्जी प्रस्ताव बनाने और जाली हस्ताक्षर करने के आरोप में भाजपा के तीन नगर परिषद सदस्यों को सदस्यता से अयोग्य घोषित करने वाले बेलगावी क्षेत्रीय आयुक्त के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके चलते नगर परिषद में भाजपा और कांग्रेस सदस्यों का संख्या बल फिर से बदल गया है।
उच्च न्यायालय ने क्षेत्रीय आयुक्त के आदेश को रद्द करते हुए आगे बढक़र एक अन्य आदेश जारी किया है। आरोपों के कारण अपनी सदस्यता खो चुकी पूर्व अध्यक्ष उषा दासर, तथा सदस्य अनिल अब्बिगेरी और गुलप्पा मुशिगेरी को क्षेत्रीय आयुक्त ने 11 फरवरी को निष्कासित कर दिया था। 27 फरवरी को पुन: जांच कर आगे कोई निर्णय लिया जा सकता है कह कर निर्देश दिया था। इसके खिलाफ उच्च न्यायालय गए भाजपा सदस्यों ने आर.सी. आदेश पर स्थगन ले लिया है। इससे उनकी सदस्यता पुन: बहाल हो गई है।
परिणामस्वरूप, आरोपों का सामना कर रहे भाजपा सदस्यों की अयोग्यता की गेंद एक बार फिर क्षेत्रीय आयुक्त के पाले में पहुंच गई है, तथा नगर परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए चुनावी दौड़ और भी अधिक रोचक हो गई है। इससे लोगों में उत्सुकता बढ़ती जा रही है।
यदि उच्च न्यायालय के आदेश से भाजपा सदस्यों को नगर परिषद के सदस्य के रूप में बहाल भी कर दिया जाए तो क्या यह सिर्फ तीन दिनों तक ही सीमित रहेगा? या यह कार्यकाल के अंत तक चलेगा? इस पर चर्चा शुरू हो गई है। क्षेत्रीय आयुक्त सुनवाई कर क्या आदेश देंगे इसके लिए 27 फरवरी तक इंतजार करना होगा।
नगर परिषद सदस्य चंद्रु तडसद ने बताया कि बेलगावी के क्षेत्रीय आयुक्त की ओर से जारी आदेश को लेकर 24 फरवरी को होने वाली सुनवाई में अदालत स्थगन आदेश देने की उम्मीद थी। तदनुसार, अदालत ने आदेश रद्द किया परन्तु समस्या यह है कि उन्हें पूछताछ के लिए फिर से आरसी के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया गया है।
उन्होंने बताया कि बेलगावी के क्षेत्रीय आयुक्त 27 फरवरी को सुनवाई के बाद क्या आदेश देंगे इस बारे में पता नहीं है परन्तु अयोग्य घोषित करने वाला आदेश रद्द करने से तीनों भाजपा सदस्य नगर परिषद के सदस्य के तौर पर काम करते रहेंगे।
गदग बेटगेरी नगर परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए 28 फरवरी को चुनाव निर्धारित किया गया है और चुनाव उसी के अनुसार होंगे। इस बीच, आरोपों का सामना कर रहे तीन भाजपा सदस्यों की सुनवाई 27 फरवरी को होगी।
अंतिम क्षण तक लडऩे की तैयारी
नगर परिषद सदस्य चंद्रु तडसद ने बताया कि उपविभागीय अधिकारी ने कहा है कि यदि न्यायालय के आदेश का प्रमाणित पत्र प्रस्तुत करते हैं तो वे उच्च अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा कर तीनों को चुनाव में भाग लेने के लिए नोटिस जारी करेंगे। 28 तारीख को होने वाले चुनाव में भाजपा सदस्य दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता बरकरार रखने के लिए अंतिम क्षण तक लडऩे की तैयारी कर रहे हैं।
मतदान के अधिकार देने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा
उन्होंने बताया कि उषा दासर, अनिल अब्बिगेरी और गुलप्पा मुशिगेरी ने नगर परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव में मतदान का अधिकार पाने के लिए हस संभव प्रयास कर रहे हैं। अदालत के आदेश की एक प्रति लेकर मंगलवार को उप-विभागीय अधिकारी गंगप्पा एम. से मुलाकात कर मतदान के अधिकार देने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा है।
कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श के बाद निर्णय
उनका ज्ञापन स्वीकार कर उप-विभागीय अधिकारी गंगप्पा एम. ने कहा कि मैंने क्षेत्रीय आयुक्त के आदेश के खिलाफ स्थगन आदेश से संबंधित अदालती आदेश की प्रति नहीं देखी है। न्यायाधीश ने फैसले में जो लिखा है, उसके बारे में पूरी जानकारी मिलने के बाद हम उसी के अनुसार आगे बढ़ेंगे। नियम है कि किसी भी पार्षद को चुनाव की सूचना सात दिन पहले देनी चाहिए। यदि भाजपा चुनाव में भाग लेने की अनुमति मांगती है तो कानूनी विशेषज्ञों की राय ली जाएगी। बाकी लोगों को सात दिन पहले देकर इन्हें तीन दिन पहले देने पर गलत होगा। अदालत की ओर से उन्हें नोटिस देने या न देने का कोई निर्देश नहीं दिया गया है। 27 फरवरी को क्षेत्रीय आयुक्त की ओर से दिए जाने वाले आदेश पर आगे की सभी प्रक्रियाएं आधारित हैं।
चुनाव में भाग लेने की अनुमति देने का अनुरोध किया
इसके बाद भी नगर निगम परिषद के सभी भाजपा सदस्य खामोश नहीं बैठे हैं। वे विधायक सी.सी. पाटिल, डॉ. चंद्रु लमाणी और विधान परिषद सदस्य एस.वी. संकनूर के साथ जिलाधिकारी सी.एन. श्रीधर से मुलाकात कर उनसे चुनाव में भाग लेने की अनुमति देने का अनुरोध किया है।
अनुमति देने का निर्देश नहीं दिया
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी सी.एन. श्रीधर ने कहा कि अदालत के आदेश के अनुसार आपकी सदस्यता बरकरार रहेगी परन्तु नगर परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तिथि निर्धारित कर पार्षदों को सूचना दे दी गई है। एक बार चुनाव अधिसूचना जारी हो जाने के बाद बीच में चुनाव नोटिस जारी करने की कानून अनुमति नहीं देता। अदालत के आदेश में इन तीन सदस्यों को मतदान की अनुमति देने का निर्देश नहीं दिया है।
इससे भाजपा सदस्य पुन: हताश हो गए हैं। वे कानून के माध्यम से मताधिकार प्राप्त करने के बारे में सोच रहे हैं और 27 फरवरी की सुबह धारवाड़ उच्च न्यायालय पीठ में तत्काल याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं।