Government schools are challenging private schoolsनावलगी गांव स्थित कर्नाटक पब्लिक स्कूल में प्रवेश के लिए कतार में खड़े अभिभावक।

दाखिले के लिए रात भर कतार में लगे रहे अभिभावक
बागलकोट. हालही के दिनों में अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं। आजकल वर्तमान पीढ़ी के लोगों में यह भ्रम अधिक देखने को मिलता है कि निजी स्कूलों में दाखला कराने पर अच्छी शिक्षा मिलेगी। खास तौर पर शहरी इलाकों के अभिभावक बच्चे के जन्म से पहले ही निजी स्कूलों में लाखों रुपए डोनेशन देकर बच्चे का दाखिला करवाने के लिए तत्पर रहते हैं। ऐसे माहौल में बागलकोट जिले के नावलगी गांव स्थित सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए अभिभावक रात भर स्कूल परिसर में लाइन लगा रहे हैं।

जी हां, नावलगी गांव स्थित कर्नाटक पब्लिक स्कूल (प्री-प्राइमरी इंग्लिश मीडियम) में, अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए पूरी रात में कतार में लग रहे हैं। ऐसा इसलिए है कि सरकारी नियम के अनुसार, अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में केवल 30 सीटों की मात्र अनुमति दी गई है। यहां की इंग्लिश मीडियम स्कूल बहुत मशहूर हुई है, इसके अलावा यहां शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर होने से अधिक अभिभावक अपने बच्चों को इसी स्कूल में नामांकन कराना चाहते हैं, परन्तु यहां केवल 30 छात्रों को ही अनुमति होने से पहले आने वालों को प्राथमिकता देने के स्कूल प्रबंधन बोर्ड की ओर से दिए गए निर्देश के अनुसार, अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला दिलाने के लिए रात में ही स्कूल के पास लाइन में खड़े हो रहे हैं।

आठ वर्ष पूर्व शुरू हुई इस स्कूल की शिक्षा के गुणवत्ता पर अभिभावक फिदा हुए हैं। 30 सीटों के लिए 64 अभिभावक कतार में खड़े होकर नामांकन के लिए भारी मशक्कत कर रहे हैं।

रबकवि-बनहट्टी तालुक में एकमात्र केपीएससी स्कूल होने से मांग बढ़ गई है, अभिभावक प्रवेश सीटें बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। तालुक में एक के हिसाब से कर्नाटक पब्लिक स्कूल है, परन्तु नावलगी सरकारी स्कूल में प्रवेश पाने की मांग अधिक बढ़ गई है।

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