कोप्पल के कलाकार प्रकाश शिल्पी की ओर से अपने घर में प्रतिदिन बनाकर रखी हनुमान की मूर्तियां।

प्राण-प्रतिष्ठा समारोह : हारोहल्ली के खेत में पाए गए पत्थर से बनेगी हनुमान की प्रतिमा
राम मंदिर उद्घाटन के दिन शुरू करेंगे मूर्ति तराशने का काम
कोप्पल. कोप्पल के एक कलाकार प्रकाश शिल्पी ने मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज की ओर से बनाई गई राम की मूर्ति को अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किए गए पत्थर से हनुमान की मूर्ति तराशकर मंदिर बनाने का फैसला किया है।

मैसूर के पास हारोहल्ली के पत्थर से राम की मूर्ति बनाई गई है। मूर्ति के लिए ले जाने के बाद पत्थर का बचा हुआ हिस्सा एक दो दिन में कोप्पल आ जाएगा। 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन के दिन ही प्रकाश हनुमान की मूर्ति तराशने का काम शुरू करेंगे।

प्रकाश पिछले साल विजयदास की मूर्ति को तराशने की खातिर पत्थर का चयन करने के लिए हारोहल्ली गए थे। जिस पत्थर को उन्होंने देखा वह बेहतर गुणवत्ता का था, परन्तु वह उस आकार का नहीं था जैसा वे चाहते थे इस लिए उसे छोड़ कर आ गए थे। अब उसी पत्थर से राम की मूर्ति बनाई गई है और यह अयोध्या में स्थापित होने वाली राम की मूर्तियों में से एक है।

पत्थर उठाकर रखा है

पत्थर पाए गए हारोहल्ली के खेत में काम करने वाले श्रीनिवास ने बताया कि हारोहल्ली के खेत के पत्थर से राम की मूर्ति बनाई गई है। कोप्पल के प्रकाश ने इसे पहले देखकर चला गए थे। अब इस पत्थर से राम की मूर्ति बनने के बारे में जानने के बाद शेष पत्थर में हनुमान की मूर्ति बनाने के लिए पत्थर देने का प्रकाश ने अनुरोध किया है। वे इन्हें देने के लिए तैयार हैं उन्हीं के लिए हमने पत्थर के पांच-छह हिस्से अलग से रखे हैं।

सहस्रांजनेय मंदिर बनाकर वहां प्रतिष्ठापित किया जाएगा :

प्रकाश शिल्पी ने बताया कि 17 वर्षों से हर सुबह हनुमान की मूर्ति बनाने की परंपरा रही है। जब मैं हारोहल्ली गया तो मैंने हमेशा की तरह उसी पत्थर के सामने एक मूर्ति बनाई थी। माप सही नहीं होने के कारण विजयदास की मूर्ति बनाने के लिए पत्थर नहीं लाया। अब यह गौरव का क्षण है कि वही पत्थर अयोध्या के राम बनने की होड़ में है। उस पत्थर के बाकी हिस्से में हनुमान की मूर्ति बनाकर गविश्री नगर में सहस्रांजनेय मंदिर बनाकर वहां प्रतिष्ठापित किया जाएगा।

मंदिर बनाना चाहते थे

प्रकाश के पिता स्वर्गीय शेखरप्पा शिल्पी हनुमान के परम भक्त थे। 2006 में जब उनकी मृत्यु हुई तो उन्ही की मूर्ति बनाकर मंदिर बनाने की योजना बनाई गई थी परन्तु समुदाय और परिवार के बुजुर्गों ने शेखरप्पा के हनुमान का भक्त होने के कारण मंदिर बना कर हनुमान की मूर्ति स्थापित करने की सलाह दी थी।

प्रतिदिन एक हनुमान मूर्ति

अपने पिता की तरह प्रकाश भी हनुमान के भक्त हैं। 26 जनवरी 2007 से प्रतिदिन सुबह हनुमान की एक या डेढ़ फीट ऊंची पत्थर की मूर्ति को तराशकर उसकी पूजा-अर्चना करने के बाद ही बाकी का काम करते हैं। गुरुवार (10 जनवरी) के अंत तक उसकी ओर से तराशी गई हनुमान मूर्तियों की संख्या 6,141 हो गई है।

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