प्रदेश में अनुसूचित जातियों पर जारी हिंसा
प्रदेश में 461 मामलों में एफआईआर दर्ज
-कुल 5.16 करोड़ रुपए मुआवजा दिया
हुब्बल्ली. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर हिंसा रोकने के लिए कानून और जागरूकता कार्यक्रम लागू होने के बावजूद कई रूपों में शोषण जारी है।
प्रदेश में वर्ष 2023-24 में 461 हिंसा मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है। 643 लोगों का शोषण किया गया, जिनमें से 10 हत्याएं और 9 दुष्कर्म जैसेगंभीर मामले भी हैं।
्बेंगलूरु शहर में 98 मामले, चिक्कमंगलूरु में 66, धारवाड़ में 53, तुमकूर में 43 मामले हैं, जबकि विजयनगर, हावेरी, कलबुरर्गी, कोलार, कोडगु, चित्रदुर्ग, यादगिरी, हासन, विजयपुर, बेंगलूरु ग्रामीण, चामराजनगर और बल्लारी में कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है। कुल 5.16 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया है।

अधिकारी बरत रहे हैं लापरवाही
समता सेना कर्नाटक संगठन के अध्यक्ष गुरुनाथ उल्लिकाशी का कहना है कि सबसे शक्तिशाली अधिनियम को लागू करने में अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। समुदाय के लोग भी अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने से पीछे हटते हैं। इसके चलते हिंसा पर काबू नहीं पाया जा सका है।
उन्होंने बताया कि अदालत के लिए आवश्यक साक्ष्य प्रस्तुत करने में अधिकारियों की विफलता, गंभीर मामलों में भी अनौपचारिक समझौता करने से हिंसा के पीडि़तों के साथ अन्याय का कारण बन रहा है। इस संबंध में समुदाय के बीच जागरूकता पहुंचानी चाहिए। संगठनों को राजनीति से प्रेरित गतिविधियों से बाहर आकर समुदायों की भलाई के लिए एकजुट होना चाहिए।

जागरूकता पैदा की जाती है
हिंसा का शिकार पीडि़त अनुसूचित जाति और जनजाति की शिकायत के आधार पर पुलिस मामला दर्ज करती है। इसके तहत समाज कल्याण विभाग के अधिकारी और पुलिस जांच करते हैं। प्रामाणिकता पर रिपोर्ट सौंपी जाती है। बाद में हिंसा के शिकार लोगों को विभिन्न चरणों में मुआवजा दिया जाता है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी समुदायों की बैठक आयोजित ककर जागरूकता पैदा की जाती है।
एम.बी. सन्नेर, सहायक निदेशक, समाज कल्याण विभाग

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