कल्याण, कर्नाटक में पहला
लागत 75 लाख रुपए
15 कर्मचारी
नवजात शिशुओं के लिए उपयोगी
3-6 महीने तक भंडारण
बल्लारी. बल्लारी मेडिकल कॉलेज एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमसीआरसी) में एक मानव दूध बैंक “अमृतधारे” शुरू किया गया है, जो उन माताओं के नवजात शिशुओं की मदद कर सकता है जिन्होंने अपनी माताओं को खो दिया है, जिन्हें अपनी माताओं का दूध नहीं मिल रहा है, या जो बीमार हैं।
इस अस्पताल में प्रसव के कारण प्रतिदिन 35-60 बच्चे आईसीयू यूनिट में भर्ती होते हैं।
इन बच्चों को डेयरी दूध और दलिया देना उचित नहीं है। मां का स्तन दूध उपयुक्त है। इसके लिए माताओं के स्तन दूध को एकत्रित करके इन बच्चों को उनकी जरूरत के अनुसार दिया जाना चाहिए। अमृतधारे के नाम से कल (सोमवार) से नगर निगम की ओर से 25 लाख रुपए और डीएमएफ फंड की ओर से 50 लाख रुपए की लागत से ऐसी व्यवस्था शुरू की गई है।
किससे लिया जाता है दूध
जिनके बच्चे मर गए हैं, अपने बच्चे के पीने के बाद बचने वाले माताओं से स्तनपान दूध संग्रह किया जाता है। नवजात शिशु को ज्यादा दूध की जरूरत नहीं होती परन्तु मां से ज्यादा दूध मिलेगा ऐसी माताओं से जितना दूध दिया जाता है उतना बच्चे के लिए ज्यादा दूध बनेगा इस बारे में एहसास दिलाकर, ऐसी माताओं से दूध लिया जाता है।
इस अस्पताल को जो दूध चाहिए, वह जिला और तालुक अस्पतालों को भी दिया जा सकता है।
किसके लिए है यह दूध
यह दूध समय से पहले जन्मे बच्चों, बिन मां वाले बच्चों और आईसीयू यूनिट में इलाज करा रहे बच्चों को एक निश्चित मात्रा में दिया जाएगा।
कैसे संग्रह किया जाएगा
स्तनपान पंप का उपयोग करके माताओं से दूध लिया जाएगा, जांच और जीवाणु परीक्षण के लिए भेजा जाएगा। फिर इसे पाश्चुरीकृत करके -16 डिग्री पर संग्रहित किया जाएगा।
छह महीने तक के बच्चे को दिया जा सकता है
माताओं से लिए गए दूध का परीक्षण और पाश्चुरीकरण करके 3 से छह महीने तक के बच्चों को दिया जा सकता है।
–डॉ. विश्वनाथ, प्रमुख, शिशु विभाग, बीएमसीआरसी, बल्लारी।
नवजात शिशुओं के पालन-पोषण में सहायक होगा
ऐसे बैंक बेंगलूरु, हुब्बल्ली आदि में मौजूद थे। हमने इसे सबसे पहले कल्याण कर्नाटक में ही शुरू किया है। यह नवजात शिशुओं के पालन-पोषण करने में बहुत सहायक होगा।
–डॉ. टी. गंगाधर गौड़ा, निदेशक, बीएमसीआरसी, बल्लारी।