हिम्मत है तो विधायक पद से इस्तीफा देकर पुनः: चुनाव लड़ेंहुब्बल्ली में रविवार को मूरुसाविर मठ का दौरा कर मठ के प्रमुख जगद्गुरु गुरुसिद्ध राजयोगीन्द्र महास्वामी से मुलाकात कर उनका सम्मान करते हुए भाजपा से निष्कासित विधायक बसनगौड़ा पाटिल यत्ननाल।

यत्नाल ने विजयेंद्र को दी चुनौती

हुब्बल्ली. भाजपा से निष्कासित विधायक बसनगौड़ा पाटिल यत्ननाल ने चुनौती देते हुए कहा कि बीवाई विजयेन्द्र किसी और की भीख पर चुनकर आए थे। अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हेें विधायक पद से इस्तीफा देकर फिर से चुनाव लडऩा चाहिए।

शहर के मूरुसाविर मठ का दौरा करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए यत्ननाल ने कहा कि मैं अपने विधायक पद से इस्तीफा देकर चुनाव लडऩे के लिए तैयार हूं। मैं केवल भगवा झंडे पर जीत कर आऊंगा। मुझे मुस्लिम वोट नहीं चाहिए। क्या विजयेंद्र को इस्तीफा देकर निर्वाचित होने की ताकत है।

अप्रत्यक्ष रूप से रेणुकाचार्य को फटकार लगाते हुए कहा कि स्वामी होकर अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। क्या उन्हें शर्म नहीं आती है। जब तक भाजपा एक परिवार से मुक्त नहीं हो जाती, मैं पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा। येडियूरप्पा परिवार से मुक्त होने के बाद मैं भाजपा में शामिल हो जाऊंगा। हर किसी को एक दिन जाना ही है। कुछ भी स्थायी नहीं है। मैं अच्छा हूं, और दुष्टों के लिए बुरा हूं।

उन्होंने कहा कि मैंने भाजपा नहीं छोड़ी है। पिता और उनके छोटे बेटे ने पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित किया गया है। लोकसभा चुनाव के दौरान ये सभी लोग मेरे घर आकर आशीर्वाद मांगेंगे। पिता और बड़ा बेटा मिलकर संतोष लाड को मुख्यमंत्री बनाने जा रहे हैं। क्या उनमें कोई समझ है? क्या वे चाहते हैं कि भाजपा राज्य में सत्ता में न आए।

यत्नाल ने कहा कि जब तक हिंदू मेरे साथ हैं, कोई भी मुझे कुछ नहीं कर सकता। कोई भी मेरी राजनीति समाप्त नहीं कर सकता। पंचमसाली ट्रस्ट के स्वयंभू अध्यक्ष को मेरे और समाज के बारे में बोलने की कौन सी नैतिकता है? उसने कूडलसंगम में कब्जा किए मठ, मंदिर और समाज की संपत्ति छोडऩे को कहिए।

उन्होंने कहा कि विजयपुर में सिद्धेश्वर स्वामी के नाम पर अनुमानित 16 करोड़ रुपए की लागत से एक आश्रम और एक कल्याण मंड़प का निर्माण किया गया है। इसके लिए वे मूरुसाविर मठ के मठ प्रमुख को आमंत्रित करने आए हैं।

इससे पहले, मूरुसाविर मठ के संस्थापक जगद्गुरु गुरुसिद्धेश्वर शिवयोगी के सिंहासन के दर्शन किए। बाद में, उन्होंने मठ के प्रमुख जगद्गुरु गुरुसिद्ध राजयोगीन्द्र महास्वामी से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। फिर उन्होंने प्रसाद स्वीकार किया।

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