जुड़वां शहर की गलियों में मटका सट्टा का कोबार
गांजा, ड्रग्स की तस्करी व बिक्री जारी
हुब्बल्ली. राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर, स्मार्ट सिटी, वाणिज्यिक शहर, विद्याकाशी आदि नामों से जाने वाने वाले हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर को पहले छोटा मुंबई कहा जाता था। मुंबई में आपराधिक गतिविधियों की तरह ही यहां भी इनकी भरमार थी!
यहां की अवैध गतिविधियों के लिए भी मुंबई से संपर्क होता था।
रैकेट के मास्टरमाइंड मुंबई अपराध जगत के सरगना
पुलिस के मुताबिक पिछले दो दशकों में जुड़वां शहर ने छोटा मुंबई की बदनामी दूर कर ली है, इसके बावजूद अभी भी सट्टेबाजी, गांजा और ड्रग्स की तस्करी और बिक्री जैसी आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा हुआ है। इस रैकेट के मास्टरमाइंड मुंबई अपराध जगत के सरगना हैं।
मोबाइल चोरी के मामलों में कमी
जुड़वा शहरों में समय-समय पर कुछ गंभीर मामले घटित होते रहते हैं और राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर खबर बन जाते हैं। हत्या, मारपीट, डकैती, रंगदारी और चोरी के मामले लगातार जारी हैं। सीसीटीवी कैमरे होने के बावजूद बाइक चोरी, महिलाओं के शरीर से सोने के आभूषण छीनकर फरार होना आम बात है। बाजार क्षेत्रों, बस अड्डों पर जेबकतरों की टोली सक्रिय है परन्तु दो महीने पूर्व से मोबाइल चोरी के मामलों में कमी आ रही है।
छह उपद्रवियों को किया तड़ीपार
शहर के कुछ उपद्रवी सुर्खियों में आए बिना अप्रत्यक्ष रूप से अपने सहयोगियों या गुर्गों के जरिए आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। कुछ अन्य लोग गिरोह बनाकर हमला करना, जान से मारने की धमकी देना, अदालत में झूठी गवाही देने की धमकी देना, हथियार लेकर घूमना और सार्वजनिक स्थानों पर अशांति पैदा कर रहे हैं। पिछले छह माह में बार-बार आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहने वाले छह उपद्रवियों को अलग-अलग जिलों में निर्वासित (तड़ीपार) किया गया है।
2 करोड़ रुपए से अधिक के आभूषण और नकदी की चोरी
विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, कोविड के बाद जुड़वां शहरों में घरों में चोरी के मामले बढ़ रहे हैं। तीन साल की अवधि में, 1,194 चोरी के मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 2 करोड़ रुपए से अधिक के आभूषण और नकदी की चोरी हुई।
औपचारिकता के लिए होती है रात्रि पुलिस गश्त
पुलिस का कहना है कि घरों को ताला लगा कर चार-पांच दिनों के लिए बाहर जाने पर पड़ोसियों या स्थानीय पुलिस थाने को सूचित करने को लेकर जागरूकता पहुंचाने के बाद भी जनता उन्हें नजरअंदाज कर रही है।
लोगों का आरोप है कि औपचारिकता के लिए रात्रि पुलिस गश्त होती है। स्मार्ट बीट के आने के बाद बीट पंच के लक्ष्य को हासिल करना ही पुलिस के लिए बड़ी जिम्मेदारी बन गई है।
लक्ष्य को पूरा करने की ओर ध्यान केंद्रित
प्रत्येक थाने में पांच-छह रात्रि बीट हैं और एक निश्चित समय पर एक निश्चित स्थान पर रखी गई बीट को पंच करना चाहिए। मोबाइल फोन में इंस्टॉल स्मार्ट बीट ऐप जीपीएस के माध्यम से काम करता है, जिससे कौन सा पुलिस कर्मी किस समय पहुंचा और पंच किया, इसकी जानकारी सटीक रूप से मिल जाती है। पंच चूकने पर थाना अधिकारी के फटकार लगाने के डर से पुलिस कर्मी पंच के लक्ष्य को पूरा करने की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं। इससे जिस स्थान पर सबसे पहले पंच मारा वहां अगर कोई चोरी या डकैती भी हो जाए तो भी उन्हें पता नहीं चलता। इसका उदाहरण छह माह पहले गोकुल रोड स्थित बसवेश्वर नगर में हुई डकैती का मामला है।
घर वालों को बांध कर 70 लाख रुपए के आभूषण की चोरी
पुलिस ने बताया कि बसवेश्वर नगर के व्यवसायी उल्लास दोड्डमनी के घर की खिडक़ी की जाली तोड़ कर, घर में रहने वालों को बांध कर 70 लाख रुपए लागत के सोने के आभूषण चुरा ले गए। यह मामला 20 सितंबर की देर रात 1.30 से 3.30 बजे के बीच हुआ है। गोकुल रोड थाना बीट संख्या 3 के पुलिस कर्मी ने रात्रि 1.20 बजे यहीं स्थित एसीपी के घर के पास बीट पंच किया। उस समय चोरी के आरोपी दोड्डमनी के घर के सामने स्थित उद्यान में थे। सीसीटीवी कैमरों की जांच के दौरान पुलिस को यह जानकारी मिली है।
भेष बदलकर करते हैं चोरी
पुलिस का कहना है कि हाल ही में, चोरों ने लिंगराज नगर में जोशी के घर का दरवाजा तोडक़र 80 ग्राम सोने के आभूषण चुरा ले गए। वे अपने परिवार के साथ घर पर ताला लगाकर पुणे चले गए थे। चोर यह देख लेते हैं कि घर पर कोई नहीं है और समय देखकर चोरी करते हैं। यदि दिन में उनका पहनावा अलग होगा तो चोरी की परिस्थितियां भी अलग होंगी। सीसीटीवी कैमरे की जांच करने पर सही तस्वीर न मिले इस लिए ऐसा करते हैं।