शिवमोग्गा. एक स्थानीय व्यक्ति ने देखा कि लगभग 150 परिवारों के सदस्यों को बरसात के मौसम में गांव के पास सात से आठ किलोमीटर तक नंदीहोले पार करने में परेशानी हो रही थी, इसलिए उन्होंने नाले पर लोहे का फुटब्रिज बनाकर सुविधा प्रदान की।
सागर तालुक के होसूर ग्राम पंचायत क्षेत्र के चिप्पली गांव के एच.आर. गुरुनाथ ने अपने के लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए अपने खर्च पर नंदीहोले पर पुल बनाकर चिप्पली, ब्याडरकोप्पा, जम्बूरमने और अड्डेरी गांवों के लोगों की मदद की है।
50,000 रुपए की अनुमानित लागत से चिप्पली गांव को ब्याडरकोप्पा से जोडऩे वाले नहर के दोनों किनारों पर 60 फुट लंबा और 3 फुट चौड़ा पुल बनाया गया है। खास बात यह है कि पुल को निर्धारित स्थान पर लगाने में ग्रामीणों ने भी हाथ बंटाया था।
ब्याडरकोप्पा गांव में रेलवे अंडरपास के पास सडक़ को जोडऩे से ब्याडरकोप्पा, जम्बूरमने और अड्डेरी गांवों के लोगों को फायदा हुआ है। पुल के निर्माण से पहले चेन्नशेट्टीकोप्पा, होसूर और ऐगिनबैलू गांवों से लगभग 7 किलोमीटर का चक्कर लगाकर चिप्पली को जाना पड़ता था।
इस नहर पर 2010 में एक छोटा पुल बनाया गया था परन्तु पुल के दोनों तरफ संपर्क मार्ग विकसित नहीं होने के कारण नाला भर गया और पानी के तेज बहाव से पुल का क्षरण हो गया, जिससे यह अनुपयोगी हो गया था। घटिया कार्य के कारण बीच का खंभा जर्जर हो गया और पुल सात-आठ साल तक इस्तेमाल में नहीं आया था। ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से गांव की नहर पर स्थायी पुल बनाने की कई बार अपील की, परन्तु कोई फायदा नहीं हुआ था।
स्थानीय लोगों ने खुशी जताई कि लोगों की समस्याओं को समझते हुए सरकारी अनुदान का इंतजार किए बिना उनके अपने पैसे से पुल का निर्माण किया।
पक्का पुल बनाए सरकार
चिप्पली गांव के वीरेन्द्र ने बताया कि संकरा पुल जीर्ण-शीर्ण हो गया था, इसलिए हर साल बरसात के मौसम में हम लोग गोल चक्कर का इस्तेमाल करके घूमते थे। अब हमें खुशी है कि हमारे गांव के लोगों ने लोहे का पुल बना दिया है। सरकार को पक्का पुल बनाना चाहिए।
पुल का निर्माण किया
मैंने देखा था कि हमारे गांव के किसान अपनी जमीन और रिश्तेदारों से संपर्क करने के लिए सात से आठ किलोमीटर पैदल चलते हैं। किसी समाधान की तलाश में पुल का निर्माण किया गया।
-एच.आर. गुरुनाथ, चिप्पली गांव