भारत में हर साल रेबीज से 18 से 20 हजार मौतें
हुब्बल्ली. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सडक़ कुत्तों को लेकर दिए गए निर्देशों के बाद इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है। भारत में कुत्तों के काटने की घटनाएं अब गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन चुकी हैं। दिल्ली में सडक़ कुत्तों को पकडक़र आश्रय स्थलों में रखने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी आम जनता को हो रही परेशानी को ध्यान में रखकर लिया गया है, हालांकि पशुप्रेमियों ने इस फैसले पर असंतोष जताया है।
लेकिन लोगों को हो रही दिक्कतों पर भी विचार करना जरूरी है। केवल 2024 में ही 37.17 लाख सडक़ कुत्तों के काटने के मामले दर्ज हुए हैं। हर दिन औसतन 10,000 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। इस मामले में कर्नाटक देश में चौथे स्थान पर है। भारत में हर साल रेबीज से 18 से 20 हजार मौतें होती हैं, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाती हैं।
देशभर के ताज़ा आंकड़े
2024 में 26,334 सडक़ कुत्तों के काटने के मामले दर्ज हुए, जिनमें से 9,920 मामले दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों में और 15,010 मामले रेबीज विरोधी टीकाकरण केंद्रों में रिपोर्ट किए गए। 31 जुलाई तक दिल्ली में 49 रेबीज के मामले सामने आए, जबकि 2024 में दिल्ली में कुल 68,090 कुत्तों के काटने की घटनाएं हुईं।
भारत में रेबीज से मौत
भारत में हर साल 18,000 से 20,000 लोगों की मौत रेबीज से होती है, जिनमें अधिकतर 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे होते हैं। कुत्ते के काटते ही यदि तुरंत पोस्ट-एक्सपोजऱ प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) उपचार मिल जाए तो रेबीज को 100 प्रतिशत रोका जा सकता है, लेकिन भारत में लोग समय पर टीकाकरण नहीं करवाते। एक बार रेबीज हो जाने पर इसका इलाज संभव नहीं है और यह मौत का कारण बन सकता है, इसलिए सावधानी आवश्यक है।
राज्यवार स्थिति (कुत्तों के काटने के मामले)
राज्य – मामले
महाराष्ट्र – 13.5 लाख (पहला स्थान)
तमिलनाडु – 12.9 लाख
गुजरात – 8.4 लाख
कर्नाटक – 7.6 लाख
आंध्र प्रदेश – 6.5 लाख
उत्तर प्रदेश – 5.1 लाख
राज्यवार सडक़ कुत्तों की संख्या
राज्य – संख्या
उत्तर प्रदेश – 20.6 लाख (पहला स्थान)
ओडिशा – 17.3 लाख
महाराष्ट्र – 12.8 लाख
राजस्थान – 12.8 लाख
कर्नाटक – 11.4 लाख