केरल-कोडगु-दक्षिण कन्नड ़जिलों के जरिए नियमित रूप से आवाजाही
जड़ें जमाने की कोशिश
मेंगलूरु. केरल-कोडगु-दक्षिण कन्नड़ जिलों के बीच स्थित पश्चिमी घाट का हाथी गलियारा अब नक्सलियों के लिए पैदल रास्ता बनने के जरिए चुपचाप रेड कॉरिडोर में तब्दील होकर गया है।
पुलिस और नक्सल विरोधी बल का कहना है कि विक्रम गौड़ा जैसे माओवादियों के नेतृत्व में केरल-कोडगु-दक्षिण कन्नड ़जिलों के जरिए नियमित रूप से आवाजाही कर रहे हैं।
वे किस रास्ते पर जा सकते हैं, उन्हें चावल, किराने का सामान और अन्य सामान कहां से मिल सकता है, कितने सुरक्षित एकल घर हैं और कहां कोई खतरा हो सकता है, इन सबकी जानकारी नक्सलियों के पास है। अब चुनाव के समय घरों में हथियार नहीं होते हैं और श्रमिकों के घरों में बंदूक जैसे हथियार भी नहीं होते, यही वजह है कि वे बेधडक़ होकर जंगल की सीमा वाले घरों की ओर कदम बढ़ाते हैं।
जड़ें जमाने की कोशिश
पुष्पगिरि घने वन के किनारे के कोडगु तथा दक्षिण कन्नड़ जिले के सीमावर्ती भागों में कई जन आबादी वाले स्थान हैं। मडिकेरी, गालिबीडुु, संपाजे, कल्मकारु, कोल्लमोग्रु, बालुगोडु, सुब्रह्मण्य आदि में आदिवासी सहित सभी वर्गों के लोग रहते हैं। वन के किनारे एक तरफ खेती, छोटे कारोबार और दिहाड़ी मजदूर हैं तो दूसरी ओर सैकड़ों एकड़ जमीन के मालिक भी हैं। हाथी गलियारा, कस्तूरीरंगन, सडक़, पानी, बिजली जैसे बुनियादी ढांचे के लिए यहां आंदोलन लगातार जारी है। बताया जा रहा है कि नक्सली इसका फायदा उठा कर यहां मजबूत आधार तलाशने के लिए दूरगामी प्रयास कर रहे हैं। वहीं इसके लिए सरकार और जन प्रतिनिधियों की लापरवाही को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
पूरा देश चुनाव के नशे में है। इसी बीच केरल से लेकर कोडगु, संपाजे, कडमकल्लु, कूजिमले, बालुगोडु, सुब्रमण्यम, बिसिले, चारमाडी, बेलतंगडी, कुद्रेमुखा, कारकला, हेबरी, श्रृंगेरी, कुंदापुर और चिक्कमगलुरु तक पश्चिमी घाट में नक्सली गतिविधियां सक्रिय हैं। नक्सलियों के जंगल की सीमा के घरों को आने-जाने की खबरें सामने आते ही पूर्व में जहां-तहां नजर आने की जानकारी भी सामने आ रही है। कुछ लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने कुछ समय पहले गुंड्या के पास अड्डहोले, कैकम्बा, रेंजाल और चारगुड्डे में नक्सलियों की मौजूदगी देखी थी। फरवरी में बैंदूर के जडकल और मुदूर इलाके में भी नक्सली देखे गए थे।
यह स्पष्ट है कि नक्सली वनों के किनारे बसे लोगों के दुख-दर्द का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। किराने का सामान लेने के बहाने सप्ताह के दौरान कूजिमले और कोटे इलाकों का दौरा करने वाले नक्सलियों ने परिवारों से कहा है कि हम गरीबों की ओर से लड़ रहे हैं। अमीरों की जमीन गरीबों में बांट देनी चाहिए। मजदूरों और गरीबों का शोषण हो रहा है और यह बंद होना चाहिए। हम वंचितों, कमजोरों को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे हैं।
जहां हाथी घूमे थे वहां अब नक्सली
पुष्पगिरि तलहटी में जंगली हाथियों का उत्पात एक बड़ी समस्या है। जंगली हाथी वन सीमा के खेतों, बागिचों में घुसकर नारियल, केला, सुपारी की फसलों को खाकर, नष्ट कर रहे हैं। दिन-रात रिहायशी इलाकों में घुस रहे हैं। वाहनों की आवाजाही वाली सडक़ों पर भी चल रहे हैं। अब उन्हीं जगहों पर नक्सलियों ने भी खौफ पैदा किया है।
एके-47 होने की अफवाह
बताया जाता है कि ऐनकिदु गांव के कोटे तोटदमूले के घर की ओर जा रहा था, उसने नदी में मछली पकड़ रहे नक्सलियों का एक समूह नहर में मच्छली पकडऩे वालों को देखकर उनसे बात की। खाने के लिए कुछ देने को कहा था। बाद में, उन्होंने शेड में मौजूद श्रमिकों से उनका समर्थन करने के लिए कहा था। परिवार ने देखा कि उनमें से दो के पास एके-47 जैसे हथियार थे। इस सब गतिविधियों के चलते पुलिस और नक्सल विरोधी बल (एंटी-नक्सल फोर्स (एएनएफ) ने भी कार्रवाई तेज कर दी है।