भारतीय कानूनी प्रणाली के लिए कौटिल्य का अर्थशास्त्र आधारकर्नाटक राज्य विधि विश्वविद्याल के नए विधि स्कूल सभागार में भारत में कानूनी शिक्षा की चुनौतियां विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में भाग लेते अतिथि।

हुब्बल्ली. सेवा निवृत्त प्राध्यापक डॉ. एमके रमेश ने कहा कि सभी को कानूनी ज्ञान होना चाहिए। कानून का पालन करना चाहिए। कौटिल्य का अर्थशास्त्र भारतीय न्याय व्यवस्था का आधार है।
कर्नाटक राज्य विधि विश्वविद्याल के नए विधि स्कूल सभागार में भारत में कानूनी शिक्षा की चुनौतियां विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार को संबोधित करते हुए डॉ. रमेश ने कहा कि शिक्षा प्रणाली बहुत बदल गई है। प्राध्यापकों को भी सदैव नई चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए। विद्यार्थियों को प्रभावी शिक्षा प्रदान करने के लिए आधुनिक तकनीक का लाभ उठाकर विषयों को पढ़ाना चाहिए।
कर्नाटक राज्य विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सी. बसवराजु ने कहा कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में बहुत सारी समस्याएं बढ़ जाती हैं। उन्हें सही तरीके से समाधान ढूंढना चाहिए। छात्रों की समस्याओं को समझर उसका समाधान करना चाहिए। समस्याओं का सामना करने पर अनुभव मिलता है।
उन्होंने कहा कि छात्रों के बेहतर भविष्य को आकार देने में प्राध्यापक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शासी निकाय, प्रोफेसर और छात्र निकाय एक-दूसरे के पूरक होने पर मात्र संस्था विकसित होगी। छात्रों को गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। कानूनी शिक्षा में क्या बदलाव लाए जाएं, इस पर चर्चा होनी चाहिए। हम सभी को हर दिन नई चीजें सीखने की जरूरत है। सीखने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती।
विधि विश्वविद्यालय की कुलसचिव अनुराधा वस्त्रद, मूल्यांकन कुलसचिव प्रो. रत्ना भरमगौडर, सहायक प्रोफेसर मोहन आर., गिरीश गौड़ा जी. पाटिल, सुनील बागड़े, विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य, प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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