खादी संघ को राज्य सरकार से 55 लाख रुपए का बकायाखादी उत्पादन के लिए सूत कातने के कार्य में लगी महिलाएं।

समय पर अनुदान न मिलने से मजदूर परेशान

बेलगावी. तालुक के हुदली स्थित खादी और ग्रामोद्योग सहकारी उत्पादक संघ को राज्य सरकार से 55 लाख बाजार सहायता अनुदान और 18 लाख प्रोत्साहन राशि मिलनी बाकी है। बकाया भुगतान न होने से संघ और इस पेशे से जुड़े कताई-बुनाई करने वाले मजदूर आर्थिक संकट झेल रहे हैं।

महात्मा गांधी से प्रेरित होकर शुरू हुआ संघ

1937 में हुदली आए महात्मा गांधी ने स्वदेशी उत्पादों के उपयोग का आह्वान किया था। इससे प्रेरित होकर 11 लोगों ने 1954 में मात्र 500 रुपए की पूंजी से इस संघ की स्थापना की थी। आज भी यह संघ खादी उत्पाद तैयार कर रहा है।

मजदूरों की मुश्किलें

वर्तमान में 700 से अधिक मजदूर खादी उत्पादन केंद्रों में कार्यरत हैं। उन्हें संघ से वेतन और सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि (प्रति गट्ठर धागा 3 रुपए, प्रति मीटर कपड़ा 7 रुपए) मिलनी चाहिए परन्तु समय पर प्रोत्साहन राशि न मिलने से मजदूरों को कठिनाई हो रही है।
मजदूर लव उपरी ने कहा कि वे 45 वर्षों से बुनाई कर रही है। अगर सरकार समय पर प्रोत्साहन दे तो हमें बहुत राहत मिलेगी।

केंद्र से भी 24 लाख रुपए बकाया

आयोग के अधिकारियों का कहना है कि खादी उत्पादों की बिक्री पर ग्राहकों को दी जाने वाली 10 प्रतिशत छूट की राशि केंद्र सरकार वहन करती है। यह अनुदान नियमित रूप से आता है, परन्तु 2015-16 के नौ महीनों का 24 लाख रुपए अब भी बकाया है। बकाया राशि जारी करने का प्रयास जारी है।

सरकार को लिखा पत्र

हाल ही में 6 लाख रुपए बाजार सहायता और मजदूरों की प्रोत्साहन राशि जारी की गई है। बाकी रकम की रिहाई के लिए सरकार को पत्र लिखा गया है।
सावित्रम्मा दलवायी, जिला विकास अधिकारी

55 लाख रुपए आने बाकी हैं

2023-24 में 65 लाख रुपए और 2024-25 में 80 रुपए लाख मूल्य के खादी उत्पाद तैयार किए थे। बिक्री बढ़ाने के लिए ग्राहकों को 35 प्रतिशत छूट दी गई, जिसमें 15 प्रतिशत छूट की भरपाई राज्य सरकार बाजार सहायता अनुदान से करती थी परन्तु यह राशि नियमित रूप से जारी नहीं हो रही। कई वर्षों से यह नियमित रूप से नहीं आ रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंत तक लगभग 55 लाख रुपए आने बाकी हैं। हम आर्थिक संकट में हैं। अगर नियमित रूप से अनुदान जारी हो तो संचालन में आसानी होगी।
राघवेंद्र हम्मन्नवर, सचिव, खादी और ग्रामोद्योग सहकारी उत्पादक संघ

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