दिन-रात गश्त व्यवस्था उपलब्ध करने की मांग
गदग. अखंड धारवाड़ जिले में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी डंबल गांव की विक्टोरिया महारानी झील इस हिस्से के सैकड़ों किसानों की कामधेनु बनी हुई है। अब पर्याप्त कर्मचारियों की कमी और अनुदान की समस्याओं के कारण फीकी पड़ गई है।
किसान अपने खेतों के लिए पानी पाने के लिए पक्षियों की तरह इंतजार कर रहे हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाली यह झील लघु सिंचाई विभाग के अधीन में आती है। झील को बारिश से या फिर सिंगटालूर लिफ्ट सिंचाई योजना के तहत तुंगभद्रा नदी के जरिए भरा जाता है। किसान झील की छाया में मानसून और शरद ऋतु (रबी और खरीफ) की फसलें उगा सकते हैं। किसानों की भूमि को पानी देने के लिए उत्तर की ओर, दक्षिण की ओर और मध्यम भाग समेत कुल तीन नहरें हैं।
विभाग की जानकारी के अनुसार झील की जल भंडारण क्षमता 2075 हेक्टेयर है। झील से लगभग 3000 हेक्टेयर भूमि को पानी बहता है।
पर्याप्त रखरखाव के लिए उचित कार्रवाई करें
किसान नेता विरुपक्षप्पा एलीगार का कहना है कि डंबल के अलावा पास के पेठालूर और मेवुंडी गांवों के कुछ किसानों की जमीनों के लिए भी इस झील का पानी सहारा बना हुआ है। हर साल झील और नहर के रखरखाव के लिए अनुदान की कमी पेश आती है। तीनों नहर मार्गों के लिए एक ही दिहाड़ी मजदूर का रखरखाव करना चुनौती बनी हुई है। सभी किसानों की जमीनों को समान रूप से पानी देने के लिए विभाग से अनुमति लेने की व्यवस्था जारी रखनी चाहिए। विभाग के अधिकारियों को आवश्यक कर्मचारियों और पर्याप्त रखरखाव के लिए उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
दिन-रात हो गश्त
किसान नेता चंद्रु यलमली का कहना है कि विभाग की ओर से अनुबंध के आधार पर कम से कम तीन कर्मियों की भर्ती करनी चाहिए। नहर मार्ग पर दिन-रात में कर्मियों की ओर से गश्त करनी चाहिए। प्रत्येक किसान को दिन व रात में पानी देने वाले विभाग से पृथक पास प्राप्त करना चाहिए। इससे छोटे-बड़े काश्तकारों के साथ-साथ दूर-दराज के किसानों की जमीनों को भी आसानी से पानी मिलने में सहूलियत होगी।
वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाया जाएगा
जनता को नहर में प्लास्टिक कचरा न डालने के लिए जागरूक होना चाहिए। झील के उचित प्रबंधन के लिए और अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाया जाएगा।
–प्रवीण पाटिल, सहायक अभियंता, लघु सिंचाई विभाग