पुष्कर दास महाराज ने कहा
बल्लारी. पुष्कर दास महाराज ने कहा कि सत्संग में बैठे तो प्रसन्न होकर बैठना चाहिए। प्रसन्नता से जीना ही कथा सत्संग का फल है।
मोती सर्किल पुलिया के पास राधा कृष्ण मंदिर में आयोजित नानी बाई का मायरा” की कथा में तीसरे दिन पुष्कर दास महाराज ने कहा कि कथा के माध्यम से हम अपना अवलोकन कर सकते हैं। ज्ञान से ज्यादा भक्ति श्रेष्ठ है। जहां भक्ति हे वहां जागृति है। नरसी जी के पास कोई सुख सुविधा नहीं थी फिर भी उन्होंने भजन को ज्यादा महत्व दिया। बड़ों की सेवा करना उनका मन हमारी वजह से प्रसन्न रहे वही सबसे बड़ी सेवा है। सत्कर्म जन्मों जन्म तक साथ चलता है। सत्संग के साथ सेवा भी करनी चाहिए। परमात्मा सहज है।
उन्होंने कहा कि हमारी प्रीत संसार में ज्यादा है। इसलिए परमात्मा रूपी आनंद को प्राप्त नहीं कर सकते। सत्संग का प्याला कान के दोने से पिया जाता है, जिसने पिया सभी अमर हुए। विष पियेगा वो मरेगा, जिसको बात बात पर संशय हो वह प्रभु के निकट नहीं जा सकता। सत्संग से हमें जीवन जीने का ज्ञान होता है। ध्यान पूर्वक जो कथा श्रवण करते हैं, उन्हें संतों की उपमा दी जाती है। आगे नानी बाई के ससुराल वाले सभी लोग मिलकर नरसी मेहता को मायरा लेकर आने के लिए निमंत्रण भेजते हैं।
पुष्कर दास ने कहा कि 90 साल के जोशी पत्रिका लेकर जूनागढ़ की ओर रवाना होते हैं। जोशी चलने में समर्थ नहीं होने के कारण नगर अंजार से बाहर भी नहीं निकलते और रात हो जाती है। इधर भगवान को चिंता होती मेरे भक्त के कुंकुपत्री कैसे पहुंचेगी। इतने में ठाकुर का विमान आता है और जोशी को उसमें बैठा कर सीधे जूनागढ़ छोड़ देता है। जोशी नरसी जी को पत्रिका देते हैं। इधर मेहता नगर अंजार जाने की तैयारियां करते हैं।
कथा के तीसरे दिन राधा कृष्ण मन्दिर के सीनियर ट्रस्टी राधे किशन केडिया, रमेश भूतड़ा, शांता बाई भूतड़ा, रतनी बाई का व्यास पीठ की ओर से पुष्कर दास महाराज ने सम्मान किया।