न्यायाधीश आर. नटराज ने कहा
बल्लारी. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं बल्लारी जिले के प्रशासनिक न्यायाधीश आर. नटराज ने कहा कि मध्यस्थता वादियों और पक्षकारों के लिए जीवन रक्षक है। यह बिना विरोधात्मक माहौल के मामलों को सुलझाने का बेहतर तरीका है।
वे बल्लारी में कर्नाटक मध्यस्थता केंद्र, राज्य एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित एक दिवसीय पुनश्चर्या प्रशिक्षण कार्यक्रम के वर्चुअल उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे डॉक्टर बीमारियों का इलाज संवेदना और देखभाल के साथ करते हैं, वैसे ही न्यायाधीशों को भी अपने समक्ष आने वाले मामलों में करुणा और चिंता दिखाकर न्याय करना चाहिए।
न्यायाधीश आर. नटराज ने कहा कि अदालतों में बढ़ते मामलों का निपटारा यदि मध्यस्थता से किया जाए तो समाज में शांति और विश्वास का वातावरण बनेगा। न्यायाधीशों को मध्यस्थता के प्रशिक्षण और उसकी बारीकियों की जानकारी होना आवश्यक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के.जी. शांति ने कहा कि मध्यस्थता न्यायाधीशों के कौशल को निखारती है और दीवानी व कुछ आपराधिक मामलों में यह लोगों के बीच प्रेम और विश्वास बनाए रखती है।
मुख्य अतिथि कोप्पल जिले के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश चंद्रशेखर सी. ने कहा कि मध्यस्थता से समय और लागत की बचत होती है और पक्षों के बीच संबंध मजबूत होते हैं।
इस अवसर पर प्रशिक्षक गीतादेवी एम. पापन्ना और मध्यस्थ जयकीर्ति एम.सी. ने संसाधन व्यक्ति के रूप में भाग लिया था।
बल्लारी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव राजेश एन. होसमने ने स्वागत किया। कोप्पल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव महांतेश दरगद ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट इब्राहिम मुजावर ने किया।
इस कार्यशाला में बल्लारी और कोप्पल जिलों के न्यायिक अधिकारी, न्यायाधीश और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
