खान विभाग ने नहीं ली वन विभाग की राय
बल्लारी. खान एवं भूविज्ञान विभाग ने हाल ही में संडूर तालुक में कुल सात अयस्क ब्लॉकों की नीलामी की है। इनमें से एक ब्लॉक घना जंगल (वर्जिन फॉरेस्ट) है, जिसकी नीलामी से पहले वन विभाग से अनुमति नहीं ली गई है।
आरबीएसएसएन ने हाल ही में हुई नीलामी में संडूर के वन क्षेत्र के दक्षिणी क्षेत्र में घने जंगल में कुल 217.453 एकड़ क्षेत्र में फैले कुमारस्वामी लौह अयस्क खदान नामक अयस्क ब्लॉक को उच्चतम प्रीमियम (200 प्रतिशत) पर खरीदा है।
विभाग के उच्चस्तरीय अधिकारियों ने बताया कि अछूते जंगल में एक ब्लॉक चिह्नित किया गया है। नीलामी भी की गई है परन्तु खान एवं भूविज्ञान विभाग ने वन विभाग की राय तक नहीं ली।
उन्होंने खान विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर असंतोष व्यक्त किया है।
वन विभाग की राय पूछनी चाहिए थी
अधिकारियों ने कहा कि विभाग का रुख यह है कि अछूते जंगलों में खनन की अनुमति नहीं देनी चाहिए। इसी कारण से कई प्रस्ताव अस्वीकृत किए गए हैं। इस मामले में कम से कम एक बार वन विभाग की राय पूछनी चाहिए थी।
बैठक में भी चर्चा नहीं की
संडूर जंगल में पहले से मौजूद लीज अवधि समाप्त हो चुकी विभिन्न खदानों को मिलाकर ब्लॉक तैयार करने वाले खान एवं भूविज्ञान विभाग ने 3 अक्टूबर 2024 को अधिसूचना जारी की थी। नीलाम होने वाले इन ब्लॉकों के लिए वन अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में 16 अक्टूबर 2024 को वन विभाग और खान एवं भूविज्ञान विभाग के उच्चस्तरीय अधिकारियों की बैठक हुई थी। इस बैठक में कुल नौ ब्लॉक प्रस्तावित किए गए थे, परन्तु केवल आठ ब्लॉकों पर ही परामर्श किया गया। बैठक के विवरण से पता चलता है कि इस बैठक में वर्जिन फॉरेस्ट क्षेत्र में कुमारस्वामी लौह अयस्क ब्लॉक के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई।
आपत्ति व्यक्त की है
इस सब पर प्रतिक्रिया देते हुए खान एवं भूविज्ञान विभाग की बल्लारी जिला उपनिदेशक द्वितीया ईसी ने कहा कि ब्लॉक गठन केंद्रीय कार्यालय का निर्णय है। दूसरी ओर, पर्यावरणविदों और कार्यकर्ताओं ने पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र को खनन के लिए देने पर आपत्ति व्यक्त की है।
नीलाम की गई खदानें
बल्लारी जिले के संडूर तालुक में जम्बुनाथ, विभूतिगुड्डा, करडीकोल्ला, उत्तर राजापुर, दक्षिण राजापुर, शांतिप्रिय और कुमारस्वामी लौह अयस्क खदानों की नीलामी की गई है। इसके अलावा, विजयनगर जिले के कारिगनूर, चित्रदुर्ग के जंाकल और तमकूरु के जानेहार लौह अयस्क खदानों की भी नीलामी की गई है।
विभाग से अनुमति लेना जरूरी
नए ब्लॉक की नीलामी होने के बावजूद अगर खदान शुरू करनी है तो विभाग से अनुमति लेना जरूरी है। इसके बाद हम जांच करेंगे।
–संदीप सूर्यवंशी, डीसीएफ, बल्लारी
अगली पीढ़ी के लिए होना संपदा
वर्जिन वन ऐसी चीज है जिसे मनुष्य नहीं बना सकता। ऐसे क्षेत्र में खनन की अनुमति नहीं देनी चाहिए। अयस्क उत्पादन के लिए मौजूदा पुरानी खदानों का उपयोग करना चाहिए। संपदा अगली पीढ़ी के लिए होना चाहिए।
–एस.आर. हिरेमठ, प्रमुख, सामाज परिवर्तन समुदाय
बिना किसी व्यवस्था के उत्पादन में वृद्धि
फिलहाल अगर नई खदानें अभी चालू होने पर संडूर में कुल लौह अयस्क उत्पादन भी बढ़ जाएगा। इसके परिवहन के लिए वाहन यातायात भी बढ़ेगा। वर्तमान सडक़ें ऐसी स्थिति में हैं कि वे अयस्क ट्रकों के वर्तमान यातायात को संभाल नहीं सकतीं। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस बात पर जोर दिया है कि परिवहन व्यवस्था भी उत्पादन के समान ही मजबूत होनी चाहिए। ऐसे में यदि खनन और उत्पादन बढ़ाया गया तो संडूर की परिवहन और यातायात व्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा। यह भी राय है कि इससे दुर्घटनाएं बढ़ेंगी। जनसंग्राम परिषद के नेता श्रीशैल अलादहल्ली की ओर से आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, जनवरी 2020 से दिसंबर 2024 के बीच संडूर में दुर्घटनाओं में कुल 1,110 लोग घायल हुए थे। इसके अलावा, सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है।