चुनाव का कारण पिछड़ा
बारिश होने से खेती की ओर लौटे किसान
हुब्बल्ली. सूखे से त्रस्त जिले के किसानों के लिए मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी) एक वरदान होने के बाद भी चुनाव के कारण अधिक मानव दिवस सृजित करना मुश्किल हो गया था। चुनाव के बाद से प्रगति हुई है, परन्तु बारिश के कारण निर्धारित लक्ष्य हासिल करने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
चालू वित्तीय वर्ष में धारवाड़ जिले में 25 लाख मानव दिवस सृजन का लक्ष्य रखा गया है।
अप्रेल और मई में 12.04 फीसदी प्रगति हुई है। बारिश होने के कारण किसान कृषि कार्यों में लगे हुए हैं। मानसून-रबी के मौसम में किसान मनरेगा कार्यों में कम शामिल होते हैं।
35 लाख का लक्ष्य रखने वाले गदग जिले में पहले ही 46.13 प्रतिशत मानव दिवस सृजित किए जा चुके हैं। बल्लारी जिले में 60 लाख के लक्ष्य का 38.66 फीसदी और विजयनगर जिले में 73 लाख के लक्ष्य का 28.12 फीसदी हासिल किया जा चुका है।
निर्धारित लक्ष्य हासिल किया जाएगा
जिला पंचायत के एक मनरेगा अधिकारी ने बताया कि मनरेगा कार्य का अनुदान कुछ माह पहले नहीं मिला था। चुनाव के दौरान मजदूर प्रचार में चले गए, अधिकारियों के चुनाव कार्य में व्यस्त रहने के कारण मानव दिवस सृजन पिछड़ा था। अब आगे से बारिश के आधार पर जहां जरूरत होगी वहां अधिक मानव दिवस सृजित किए जाएंगे। निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा।
वभिन्न कार्यक्रम आयोजित
अधिकारी ने बताया कि चुनाव के बाद भी हम मई में 80 फीसदी प्रगति हासिल करने की राह पर हैं। बरसात के मौसम में भी कुछ काम किए जाते हैं। भूमिहीन लोग मनरेगा में काम करने आते हैं। कुछ किसान बारिश पर निर्भर रहकर कार्य करते हैं। अत: लक्ष्य प्राप्ति में कोई उल्लेखनीय गिरावट नहीं होगी। मनरेगा योजना के प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं।
उपयोगी हो मनरेगा
मनरेगा उपयोगी होना चाहिए और भ्रष्टाचार से मुक्त होना चाहिए। अधिकारियों को किसानों को अधिक सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
–सिद्दू तेजी, किसान नेता, हुब्बल्ली
कोई अतिरिक्त दिन नहीं
मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा था कि उन्होंने गंभीर सूखे के चलते मनरेगा मजदूरों की सुविधा के लिए 100 दिनों की सीमा को बढ़ाकर 150 करने को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखा है परन्तु यह लागू नहीं हुआ है। इस संबंध में केंद्र से मंजूरी नहीं मिले के कारण अतिरिक्त दिनों का काम नहीं दिया जा रहा है। मासिक लक्ष्य के बजाय वार्षिक लक्ष्य प्राप्ति पर जोर दिया जाता है। कार्यों की संख्या से गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण है।
–विजयकुमार, उप सचिव, जिला पंचायत, धारवाड़