मेहमान पक्षियों को देखने उमड़ रहे छात्र व पक्षी प्रेमी
मूंगफली की पैदावार होने के कारण करते हैं इस जगह को पसंद
हुब्बल्ली. गदग जिला शिरहट्टी तालुक की मागडी झील में अब धारीदार हंसों का कलरव सुनाई दे रहा है। मंगोलिया से बड़ी संख्या में आए इन पक्षियों को देखने और अध्ययन करने के लिए छात्र और पक्षी विज्ञानी बड़ी संख्या में आ रहे हैं।
मंगोलिया में नवंबर से सर्दी शुरू हो गई है और भारी बर्फबारी के कारण खाना नहीं मिल रहा है। इसके चलते वहां के धारीदार हंस का पलायन शुरू हो गया है। मूंगफली उनका पसंदीदा भोजन है। मागडी झील के चारों ओर दसियों कि.मी. क्षेत्र में मूंगफली की बहुत अधिक पैदावार होने से वे इसी जगह को पसंद करते हैं।
प्रजनन के लिए नहीं आए
शिरहट्टी क्षेत्र के वन अधिकारी रामप्पा पुजार ने बताया कि लगभग 7 हजार कि.मी. का सफर तय कर के आने वाले यह हंस मार्च के दूसरे सप्ताह तक रहते हैं। वे भोजन की तलाश में लंबी दूरी तक उड़ते हैं और पेट भर जाने के बाद झील पर लौट आते हैं। यह विशेष है कि वे यहां केवल शीतकालीन मेहमान के तौर पर आते हैं, प्रजनन के लिए नहीं।
उन्होंने बताया कि सुबह 5.30 बजे ये पक्षी भोजन की तलाश में 20 से 80 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। सुबह 10 बजे झील पर लौटते हैं और 4 घंटे आराम करते हैं। शाम को वे फिर भोजन की तलाश में निकलते हैं। इस बार करीब 7 हजार पक्षी आए हैं।
छात्रों के लिए पक्षी पाठ
विद्यार्थियों को पर्यावरण का महत्व, प्रवासी पक्षियों के रोचक पहलुओं से अवगत कराने के लिए ही वन विभाग ने विशेष रुचि ली है। वन विभाग के कर्मी छात्रों को मागडी झील पर वाकर उन्हें पक्षियों के बारे में जानकारी देते हैं। अब तक 1700 से अधिक विद्यार्थी मागडी झील का भ्रमण कर चुके हैं। खूब तस्वीरें क्लिक की हैं। बर्डवॉचर्स (पक्षी पर्यवेक्षक) भी वन विभाग के सहयोग से डेटा संग्रह में लगे हुए हैं।
छात्रों व पक्षी प्रेमियों की मदद करते हैं
मागडी झील क्षेत्र स्थानीय और विदेशी पक्षियों के लिए पसंदीदा है। हम उन्हें देखने के लिए ही आने वाले छात्रों से लेकर पक्षी प्रेमियों तक की मदद करते हैं।
–रामप्पा पुजार, क्षेत्रीय वन अधिकारी, शिरहट्टी
कई दिनों तक रहते हैं
जनवरी में मागडी झील में विभिन्न देशों से विभिन्न प्रजातियों के पक्षी आते हैं। राज्य के अलग-अलग हिस्सों से फोटोग्राफर उनकी खूबसूरत तस्वीरें खींचने आते हैं। वे यहां कई दिनों तक रहते हैं।
–सोमन्ना पशुपतिहाल, पक्षी पर्यवेक्षक