पुराने विश्वविद्यालयों में भी नहीं कर्मचारी
बागलकोट. नए विश्वविद्यालयों के अस्तित्व और समाप्ति के बारे में व्यापक बहस चल रही है। नए और पुराने दोनों विश्वविद्यालयों में आधे से अधिक शिक्षण और गैर-शिक्षण पद रिक्त हैं।
राज्य के विश्वविद्यालयों में स्वीकृत 4,055 शिक्षण पदों में से 2,545 (62 प्रतिशत) पद रिक्त हैं। स्वीकृत 8,411 गैर-शिक्षण पदों में से 5,870 (69 प्रतिशत) पद रिक्त हैं।
ऐसी शिकायतें हैं कि विश्वविद्यालयों में अक्सर रिक्त होने वाले कुलपति के पद को भी निर्धारित अवधि में नहीं भरा जा रहा है। इसका प्रशासन प्रभारी कुलपतियों की ओर से ही किया जा रहा है। प्रशासनिक विभाग के रजिस्ट्रार के पद पर केएएस अधिकारियों की नियुक्ति करनी चाहिए परन्तु केएएस अधिकारी उस पद को लेने में हिचकिचाते हैं। अधिकांश विभागों में अतिथि व्याख्याता ही पढ़ाते हैं।
अधिकांश विश्वविद्यालयों में गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भी कमी है। इससे प्रशासन में समस्याएं पैदा हो रही हैं। परीक्षाएं निर्धारित अवधि में आयोजित नहीं की जा रही हैं तथा शैक्षणिक वर्ष की अवधि बदल रही है। कुछ विश्वविद्यालयों के छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठना संभव नहीं हो पा रहा है।
रिक्त पदों पर भर्ती को दें प्राथमिकता
किसी विश्वविद्यालय के लिए सिर्फ इमारतें होना ही पर्याप्त नहीं है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उचित प्रशासन के लिए पूर्ण कर्मचारियों की भी आवश्यकता है। रिक्त पदों पर भर्ती को प्राथमिकता देनी चाहिए।
-रमेश बदनूर, आंदोलनकारी
उच्च शिक्षा को दे प्राथमिकता
उच्च शिक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस संबंध में, सरकार को विश्वविद्यालयों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने और छात्र नामांकन बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
-हनमंत निराणी, विधान परिषद सदस्य