संरक्षण के लिए वन विभाग ने किए उपाय
मेंगलूरु. समुद्र तट पर आकर अंडे देने वाली अनोखे जीवन के ओलिव रिडले समुद्री कछुए के अंडे मेंगलूरु में भी पाए गए हैं। अब तक, इन कछुओं के अंडे दक्षिण कन्नड़ जिले में नहीं पाए गए हैं।
वन विभाग की टीम ने पाया है कि सूरतकल के आसपास समुद्र तट के तीन किनारों पर ओलिव रिडले कछुए आकर अंडे दे रहे हैं, जिनके संरक्षण के उपाय भी किए गए हैं।
डीसीएफ मरियप्पा ने बताया कि ओलिव रिडले कछुओं को अक्सर कुंदापुर में आकर अंडे देते हुए रिकॉर्ड किया गया था। मेंगलूरु में समुद्र तट पर मानव गतिविधि अधिक होने के कारण कहीं दिखाई भी नहीं दे रहे थे। इसके चलते इस बार वन विभाग ने एहतियात बरतते हुए समुद्र तट पर तीन निगरानी टीमें गठित की थी। टीम रात में समुद्र तट पर गश्त कर रही थी। यह पाया गया कि मानव गतिविधि पर नियंत्रण के कारण तीन स्थानों पर अंडे पाए गए हैं। इनमें दो किनारों पर ऊंची लहरों के टकराने के कारण उन्हें वहां से सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया गया है।
रात में ही देते हैं अंडे
उन्होंने बताया कि ऑलिव रिडले कछुआ शर्मीला और धीमी गति से चलने वाला होता है। आधी रात और सुबह के समय, बड़ी लहरों के दौरान एक साथ किनारे पर आकर अंडे देकर लौट जाते हैं। हैरानी की बात यह है कि अंडे देने के बाद वे यहां आते ही नहीं हैं, अंडे अपने आप टूट कर कछुए के बच्चे बनते हैं। तेज लहरों के टकराने से अंडों में फंगस लगकर खराब होने की आशंका रहती है, इसलिए इन्हें अलग कर उसी जगह की रेत को ही लाकर गड्ढे बनाकर रखा गया है। बाद में रेत से ढक दिया गया है। कुत्ते और इंसान जाकर इसे खराब न करें इसके लिए इस पर जाली लगाकर सुरक्षा भी उपलब्ध की गई है। अंडे टूटकर बच्चे होने में लगभग 45 दिन का समय लगता है।
स्थानीय लोगों में जागरूकता पैदा की
डीसीएफ मरियप्पा ने बताया कि समुद्री कछुए के अंडे के संरक्षण के बारे में तटीय लोगों में जागरूकता पैदा की गई है। निगरानी टीम में स्थानीय लोग ही हैं। ऐसे समुद्री कछुए के अंडे पाए जाने की सूचना देने पर इनाम की भी घोषणा की गई है। पहले हमारी टीम को ही इस बारे में सही जानकारी नहीं है, अब वे भी उत्साहित हैं। एक कछुआ एक बार में 100 अंडे देता है। आमतौर पर नवंबर और दिसंबर में अंडे दिए जाते हैं, परन्तु मौसम के बदलते मिजाज के कारण इस बार यह पहली बार दिसंबर में सूरतकल में पाए गए, जबकि जनवरी में दो अन्य जगहों पर भी पाए गए हैं।
संरक्षित कर रहे हैं
ऑलिव रिडली कछुओं के अडे देने के बारे में हमारे यहां पता लगाना कठिन है। वे ओडिशा में सामूहिक रूप से आकर अंडे देते हैं परन्तु कुछ ही कछुए हमारे तट पर आकर कहीं एक जगह पर अंडे देते हैं, इसलिए उन्हें ढूंढना और संरक्षित करना बड़ी चुनौती है। फिलहाल तीन जगहों पर अंडे पाए गए हैं और हम उन्हें संरक्षित कर रहे हैं।
–एंटनी मरियप्पा, डीसीएफ, मेंगलूरु