खानापुर (जि. बेलगावी)। आज जहां गणेशोत्सव कई स्थानों पर प्रतिष्ठा, आडंबर और प्रदर्शन का प्रतीक बनता जा रहा है, वहीं खानापुर तालुक के कई गांव अब भी “एक गांव – एक गणपति” की परंपरा को जीवित रखे हुए हैं।
राज्य की दूसरी राजधानी बेलगावी सहित अनेक स्थानों पर सार्वजनिक गणेश प्रतिष्ठा का चलन बढ़ता जा रहा है। लेकिन खानापुर क्षेत्र के नंदगढ, हलसी, गुंडपी, गोल्याळी, चिक्क अंगरोल्ली, हलगा, कर्जगी, हत्तरवाड़, बस्तवाड़, मेण्डेगाळी, नागुर्डा, बाचोळी और सौ से अधिक गांव आज भी इस नियम का पालन श्रद्धा और भक्ति से कर रहे हैं।
नंदगढ, जो संगोली रायन्ना की कर्मभूमि है, यहां पिछले 85 वर्षों से “एक गांव – एक गणपति” की परंपरा जारी है। इसी तरह ऐतिहासिक हलसी गांव में भी यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी निभाई जा रही है।
गांव के बाजार पेट में प्रतिष्ठित गणपति की मूर्ति के समक्ष 11 दिनों तक लगातार धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें गणहोम, सत्यनारायण पूजा, अन्नसंतर्पण (महाप्रसाद), रंगोली, भाषण, नृत्य-गायन प्रतियोगिताएं और नाटक शामिल होते हैं। पूरे गांव के लोग मिलकर उत्साह और सौहार्द के साथ त्योहार मनाते हैं।
खानापुर विधायक विठ्ठल हलगेकर ने कहा कि “गांवों में कन्नड़, मराठी, कोंकणी, उर्दू और हिंदी भाषी लोग तथा हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और जैन समाज के लोग मिलजुलकर रहते हैं। गांव में उर्स, रायन्ना जयंती, क्रिसमस, ईद और गणेशोत्सव सभी समुदाय मिलकर मनाते हैं। यही हमारी असली ताकत है।”
गणेशोत्सव समिति के पदाधिकारी संतोष किरहलसी ने जानकारी दी कि
“गणेश प्रतिष्ठा के बाद 11 दिन तक रोज सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। गणहोम के साथ भक्तों के लिए महाप्रसाद की व्यवस्था की जाती है।”
नंदगड निवासी पूर्व विधायक अरविंद पाटील ने कहा कि “अपने कार्यकाल में मैंने 100 से अधिक गांवों में ‘एक गांव – एक गणपति’ की परंपरा को प्रोत्साहित किया। आज भी लोग इसे श्रद्धा से निभा रहे हैं।”
हलसी गांव के निवासी आनंद नागनूर ने कहा कि “हमारे पूर्वजों के समय से ही गांव में एक ही गणपति की पूजा होती आ रही है। गांव के सभी जाति-धर्म-भाषा के लोग मिलकर गणपति की आराधना करते हैं। इसी एकता के कारण गांव के लोग सदैव गणपति की कृपा से सुखी रहते हैं।”