कोप्पल के सरकारी प्रथम श्रेणी कॉलेज के शौचालय में रखा बेकार पड़ा सामान।

सरकारी कॉलेज में शौचालय की कमी!
कोप्पल. जिला मुख्यालय के सरकारी प्रथम श्रेणी कॉलेज में जिले और बाहरी जिलों के कुल 3,469 छात्र स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं, उनके लिए केवल दो शौचालय हैं। इसके चलते छात्रों को प्रतिदिन संघर्ष करना पड़ रहा है। कॉलेज में 2,306 छात्र और 1,163 छात्राएं हैं। इसमें बीए, बीएससी, बीकॉम, बीसीए और जर्नलिज्म समेत कई कोर्स हैं।

हाल ही में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं योग्यता परिषद (नैक) की शीर्ष समिति के सदस्यों ने कॉलेज की गतिविधियों की समीक्षा की और ए ग्रेड से दिया। नैक समिति की रिपोर्ट में इस कॉलेज ने कल्याण कर्नाटक के अंतर्गत आने वाले जिलों में शीर्ष स्थान हासिल किया है परन्तु छात्रों को बुनियादी ढांचे की कमी का सामना करना पड़ रहा है। भूतल पर दो शौचालय हैं, जो मरम्मत की प्रतीक्षा में हैं। पुरुष शौचालय में कॉलेज का कूड़ा-कचरा व खराब सामान एकत्र कर रखा गया है। पहली मंजिल पर पुरुषों और महिलाओं के लिए केवल एक-एक शौचालय उपयोग योग्य हैं और यही छात्रों के लिए एक मात्र सहारा बने हुए हैं।

कॉलेज शहर के केंद्र में स्थित है, पास में एक सरकारी स्कूल और तालुक स्टेडियम है। हमेशा भीड़-भाड़ वाला इलाका होने के कारण छात्रों को खुले में शौच करने का भी मौका नहीं है। इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को संभालना संभव नहीं होने के कारण विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए शिक्षण दो चरणों में सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक और दोपहर 12 बजे के बाद शाम 4.30 बजे तक किया जा रहा है। शहर के बाहरी इलाके में कॉलेज के लिए नई इमारत का निर्माण किया गया है, परन्तु इसे स्थानांतरित नहीं किया गया है।

पानी पीने के बारे में भी सोचने की स्थिति

एक छात्रा ने बताया कि हजारों छात्रों के लिए पर्याप्त शौचालय नहीं हैं। गांवों से सुबह-सुबह कॉलेज आने पर भी ठीक से पानी नहीं पी पाते हैं। पानी पीने पर बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है। इसके चलते पानी पीने के बारे में भी सोचने की स्थिति बनी हुई है।

केकेआरडीबी को प्रस्ताव सौंपा

जगह की कमी के कारण शौचालय की समस्या बनी है। तत्काल सेप्टिक टैंक के निर्माण के लिए अनुदान जारी करने की मांग को लेकर केकेआरडीबी को प्रस्ताव सौंपा गया है।

– प्रो. तिमारेड्डी मेटी, प्राचार्य, सरकारी कॉलेज कोप्पल

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