हजारों पेड़ों की बलि
कुमटा (कारवार). राज्य वन्यजीव बोर्ड की ओर से शरावती पंप स्टोरेज विद्युत परियोजना को शर्तों के साथ मंजूरी दिए जाने का जिले में विरोध हो रहा है।
उत्तर कन्नड़ जिला बचाओ संघर्ष समिति के जिला अध्यक्ष एमजी भट्ट ने कहा कि उत्तर कन्नड़ जिला पहले ही दर्जनों परियोजनाओं के कारण संकट की स्थिति में पहुंच चुका है। ऐसी स्थिति में शरावती स्टोरेज पावर प्रोजेक्ट पर्यावरण के लिए आपदा और लोगों की आजीविका के लिए बड़ा खतरा साबित होगा। इसलिए, उत्तर कन्नड़ जिले के लिए इस परियोजना की किसी भी कारण से आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा कि उत्तर कन्नड़ जिले का वातावरण पूरे राज्य में ही सबसे सुंदर है। इसके अलावा, वन संसाधन भी प्रचुर मात्रा में हैं। जिले में गाली परियोजना, लिंगनमक्की बांध, शरावती टेलरेस, कैगा परियोजना समेत कई अन्य परियोजनाएं पहले ही क्रियान्वित की जा चुकी हैं। उत्तर कन्नड़ जिला इन सभी परियोजनाओं के लिए प्रयोगशाला बना है। भविष्य में यदि कोई छोटी समस्या भी उत्पन्न हो तो उसका परिणाम बड़ी आपदा के रूप में सामने आना निश्चित है। शरावती पंप स्टोरेज पावर प्रोजेक्ट के खिलाफ संघर्ष किया जाएगा।
भट्ट ने कहा कि आज विश्व वनों की कटाई के कारण एक बड़ी पर्यावरणीय चुनौती का सामना कर रहा है। ऐसे में जिले में करीब 125 एकड़ भूमि पर लगे करीब 16 हजार कीमती पेड़ों की बलि दी जाएगी। सभी को इस बात पर आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि क्या ऐसी जलविद्युत परियोजना आवश्यक है। हम पहले ही कई परियोजनाओं के लिए बहुमूल्य सदाबहार वन खो चुके हैं। इसलिए हम एक भी पेड़ काटने की स्थिति में नहीं हैं। क्योंकि पर्यावरणीय विनाश के कारण वैश्विक तापमान बढ़ रहा है। ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा है। वातावरण प्रदूषित हो रहा है। पर्यावरण विनाश के कारण विभिन्न प्रकार के त्वचा रोग, फेफड़े से संबंधित रोग और कई अन्य बीमारियां लोगों को प्रभावित करेंगी।
उन्होंने कहा कि यह देखा जा रहा है कि सरकार और अधिकारी इस परियोजना को लोगों पर थोपने के लिए हजारों करोड़ रुपए का अनुदान लाकर कमीशन वसूलने की रणनीति और चालाकी का इस्तेमाल कर रहे हैंं। जिला उनके स्वार्थ का शिकार हो जाएगा। इसलिए उत्तर कन्नड़ जिले के लोग इस घातक परियोजना की अनुमति नहीं दे सकते। यदि इस योजना को जबरन लागू किया गया तो वे किसी भी तरह का संघर्ष करने से पीछे नहीं हटेंगे।
भट्ट ने कहा कि ऐसी घातक परियोजनाओं में लोगों की बलि चढ़ाने के बजाय सरकार और जनप्रतिनिधियों को प्राकृतिक रूप से सुंदर उत्तर कन्नड़ जिले को पर्यटन जिले में बदलना चाहिए और पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए। आगामी दिनों में इस परियोजना के खिलाफ व्यापक लड़ाई लड़ी जाएगी।