हुब्बल्ली. कर्नाटक विश्वविद्यालय धारवाड़ ने वित्तीय बाधाओं के कारण मार्च महीने की पेंशन का भुगतान नहीं किया है। कुछ पेंशनभोगियों को अभी तक उनकी सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी (डीसीआरजी) और अर्जित अवकाश (ईएल) की नकद राशि नहीं मिली है।
75 साल के इतिहास वाले इस विश्वविद्यालय में 1,748 सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। उन्हें कुल 9 करोड़ रुपए पेंशन का भुगतान किया जाना चाहिए। कुछ सेवानिवृत्त कर्मचारियों के डीसीआरजी और ईएल बकाए के भुगतान के लिए 12 करोड़ रुपए बकाया है।
इस विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में पांच संबद्ध कॉलेज, दो स्नातकोत्तर केंद्र (गदग और कारवार), एक हाई स्कूल और एक प्राथमिक विद्यालय हैं।
विश्वविद्यालय को पेंशन के लिए 126 करोड़ रुपए के अनुदान की आवश्यकता है। सरकार ने 55 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। विश्वविद्यालय ने शेष धनराशि आंतरिक स्रोतों से जुटाने का निर्देश दिया है।
कर्नाटक विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी प्रो. कृष्णमूर्ति ने बताया कि विभिन्न पाठ्यक्रम पंजीकरण शुल्क, पुस्तकालय, प्रयोगशाला शुल्क आदि से 24 करोड़ रुपए एकत्र किए जाते हैं। आंतरिक स्रोतों से पेंशन का भुगतान करना मुश्किल है। सरकार ने सरकारी डिग्री कॉलेजों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी यह सुविधा देने की एक व्यवस्था बनाई है। इसे विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर भी लागू करना चाहिए। अनुदान की कमी के कारण मार्च माह की पेंशन नहीं दी गई है। उच्च शिक्षा विभाग ने 6 विश्वविद्यालयों के वित्तीय अधिकारियों के साथ बैठक कर जानकारी प्राप्त की है। यह बात सरकार के ध्यान में भी है।
एक सेवानिवृत्त कर्मचारी ने कहा कि हम 80 साल के हो गए हैं। हम अस्पताल के खर्च, दवा आदि के लिए अपनी पेंशन पर निर्भर रहते हैं। पेंशन भुगतान में देरी नहीं होनी चाहिए। विश्वविद्यालय के अधिकारियों को सरकार से बात कर समस्या का समाधान करना चाहिए।