जीवन बचाने के लिए पी रहे अशुद्ध जल
कड़ी धूप में भटकने को मजबूर
रायचूर. जब तक गांवों में साफ पानी का प्लांट था तब तक गांवों में कोई चिंता नहीं थी। रखरखाव की अनदेखी और तकनीकी समस्याओं के कारण बंद होने के बाद लोगों को स्वच्छ पेयजल के लिए कड़ी धूप में भटकना पड़ रहा है।
एक नहीं, दो नहीं जिले के 137 गांवों के लोग स्वच्छ पेयजल के लिए तरस रहे हैं। साइकिल, बाइक और ठेले पर मटकियां रखकर साफ पानी के लिए भटकने रहे हैं। राजस्व मंत्री ने फरवरी माह में ही जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक आयोजित कर लोगों को पेयजल की समस्या न हो इसके लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
अधिकारियों ने पानी साफ है या अशुद्ध, इसका ध्यान न रखते हुए केवल पानी उपलब्ध कराने के काम को ही महत्व दिया है। इससे गांवों के लोगों को मात्र स्वच्छ पेयजल के लिए भटकने से छुटकारा नहीं मिला है।
साफ पानी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं लोग
आसपास के ग्रामीण इलाकों में लोगों की प्यास बुझाने वाले स्वच्छ पेयजल इकाइयों की कई वर्षों से मरम्मत नहीं होने से लोगों को स्वच्छ पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
धूल फांक रही मशीनें
मुदगल होबली (राजस्व केंद्र) के रामतनाल, कन्नापुर हट्टी, आशिहाल टांडा सहित 20 से अधिक गांवों में स्वच्छ पेयजल इकाइयां बंद हैं। मशीनों की मरम्मत नहीं हुई है। ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता उपविभाग की ओर से बनाई गई लाखों रुपए की मशीनरी धूल फांक रही है।
समस्या पर प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर रहे अधिकारी
लोगों ने नाराजगी जताते हुए बताया कि सूरज का तापमान दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। शुद्ध पानी के लिए तरना पड़ रहा है। पानी की समस्या पर अधिकारी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर रहे हैं। ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए लोगों का जन प्रतिनिधियों के पास जाकर अनुरोध करना आम बात हो गई है। रामतनाल गांव में स्वच्छ पेयजल इकाई निर्वाचित प्रतिनिधियों और हूनूरु पंचायत विकास अधिकारियों की लापरवाही के कारण दो वर्ष से मरम्मत नहीं होने से जर्जर होने की कगार पर पहुंच गई है।
फ्लोराइड युक्त पानी पीना पड़ रहा है
लोगों का कहना है कि कन्नापुरहट्टी गांव में स्वच्छ पेयजल इकाई की मशीनें उचित रखरखाव के बिना जंग खाई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के जिन लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है, उन्हें फ्लोराइड युक्त पानी पीना पड़ रहा है और वे कई बीमारियों से पीडि़त हो रहे हैं।
रागलपर्वी के ग्रामीणों के लिए गंदा पानी
सिंधनूर तालुक के रागलपर्वी ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले यापलपर्वी और ओलकमदिन्नी गांवों में कई महीनों से साफ पानी के संयंत्र बंद हैं। इसके चलते ग्रामीण गंदा पानी ही पी रहे हैं।
ओलकमदिन्नी और यापलपर्वी के ग्रामीणों ने इस बात पर रोष व्यक्त किया है कि लोग अक्सर उल्टी-दस्त से पीडि़त हो रहे हैं। पंचायत विकास अधिकारी पीने के पानी की समस्या का समाधान करने में विफल रहे हैं।
मरम्मत की आड़ में बंद हुई इकाइयां
ग्रामीणों का आरोप है कि सिरवार तालुक की प्रत्येक ग्राम पंचायत के हर गांव में स्वच्छ पेयजल इकाइयां हैं। शाखापुर, गणदिन्नी, पटकनदोड्डी, जक्कलदिन्नी समेत कई गांवों की पानी की इकाइयों को मरम्मत के बहाने बंद कर दिया गया है। पंचायत अधिकारियों को पूरी जानकारी होने के बावजूद आंख मूंदे बैठे हैं।
दो साल बीत गए
ग्रामीण हनुमेश नायक ने आरोप लगाया कि शाखापुर ग्राम की इकाई पर दो साल से ताला लगा हुआ है। इस बारे में अधिकारियों से पूछने पर इसी महीने मरम्मत कराने को कहते हुए दो साल बीत गए हैं।
लाखों रुपए खर्च के बावजूद नहीं मिल रहा साफ पानी
लोगों ने आरोप लगाया कि देवदुर्ग तालुक में 146 स्वच्छ पेयजल संयंत्र हैं। 94 चालू हैं और 52 बंद हैं। एक स्वच्छ पेयजल इकाई पर 14 से 20 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। ग्रामीण पेयजल और स्वच्छता विभाग, कर्नाटक ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास निगम (केआरडीएल), विधायक अनुदान और सहकारी समितियों, कल्याण कर्नाटक क्षेत्रीय बोर्ड के अनुदान की मदद से स्वच्छ जल इकाई का निर्माण किया गया है। निविदा प्राप्त कंपनी, ग्राम पंचायत तथा ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से मरम्मत में कोताही बरतने से जंग लग गई हैं।
जिला प्रशासन गंभीर नहीं
लोगों ने कहा कि हर साल भूजल स्तर घटने की समस्या से जूझने वाले देवदुर्ग में पीने के पानी में जिले में ही सबसे अधिक फ्लोराइड की मात्रा है, जिससे ज्यादातर लोग दांत और हड्डी की बीमारियों से पीडि़त हैं। अशुद्ध पानी के सेवन से स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने के बावजूद जिला प्रशासन गंभीर नहीं है।
निविदा आमंत्रित की है
जिले में तकनीकी खराबी के कारण बंद पड़ी स्वच्छ जल इकाइयों की मरम्मत के लिए अनुमानित लागत तैयार कर निविदा आमंत्रित की गई है।
–राहुल पांड्वे, सीईओ, जिला पंचायत, रायचूर