खनिज एवं भूविज्ञान विभाग ने लिखित में दिया स्पष्टीकरण
बल्लारी. खनिज एवं भूविज्ञान विभाग ने लिखित रूप में स्पष्टीकरण दिया है कि वन क्षेत्र में स्थित खनिज ब्लॉकों की नीलामी के लिए वन विभाग की अनुमति लेना अनिवार्य नहीं है।
संडूर तालुक वन के दक्षिण क्षेत्र में स्थित 217.453 एकड़ घने जंगल में “कुमारस्वामी लौह अयस्क खदान” नामक अयस्क ब्लॉक को वन विभाग से किसी भी प्रकार की अनुमति लिए बिना नीलामी के लिए रखा गया था।
इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता ऊलूर सिद्धेश ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को शिकायत पत्र सौंपा था। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस पर खनिज और भूविज्ञान विभाग से स्पष्टीकरण मांगा था।
खनिज विभाग का जवाब
विभाग ने उत्तर देते हुए कहा कि खनिज ब्लॉक की नीलामी के लिए वन विभाग की अनुमति लेना जरूरी नहीं है। नीलामी में ब्लॉक हासिल करने वाले बोलीदाता को आगे जाकर खनन पट्टा प्राप्त करने से पहले वन विभाग से अनुमति लेनी होगी। केवल अनुमति मिलने के बाद ही खनन कार्य शुरू किया जा सकता है।
पर्यावरण बनाम विकास पर विभाग की टिप्पणी
विभाग ने बताया कि राज्य का विकास और पर्यावरण संतुलन साथ-साथ चलना चाहिए। लौह अयस्क और खनिजों का उपयोग किए बिना विकास संभव नहीं है। राजस्व आय, रोजगार आदि जैसे पहलुओं को ध्यान में रखना जरूरी है। केंद्र सरकार की ओर से तय किए गए कानून और नियमों के अनुसार ही आगे की कार्रवाई की जाती है।
खनन क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे का विकास
सीईपीएमआईजेड (कंप्रिहेंसिव एनवायरमेंटल प्लानिंग एंड मॉनिटरिंग इन द जियोग्राफिकल एरिया) योजना के अंतर्गत खनन क्षेत्रों में सडक़ों के विकास को प्राथमिकता दी गई है। रेलवे साइडिंग, कन्वेयर बेल्ट्स बनाए जा रहे हैं। लौह अयस्क परिवहन के लिए अलग माइन कॉरिडोर रोड विकसित करने की योजना क्रियान्वित की जा रही है।
वन विनाश और अनुबंधकर्ता की जिम्मेदारी
जिन क्षेत्रों में खनन किया जाएगा, वहां के ठेकेदारों को केंद्रीय वन विभाग की सभी शर्तों का पालन करना होगा। वे क्षतिपूर्ति धनराशि और वनीकरण (वन लगाने) की लागत चुकाएंगे। इसके बाद ही उन्हें खनन कार्य करने की वन अनुमति दी जाएगी। इस प्रकार खनिज विभाग ने स्पष्ट किया है कि नीलामी की प्रक्रिया में वन अनुमति आवश्यक नहीं है, परन्तु खनन शुरू करने से पहले अनुमति प्राप्त करना जरूरी है।