अनुवादित कृति “विदिश प्रहसन” के लिए प्राप्त हुआ पुरस्कार
हुब्बल्ली. साहित्यकारों की जन्मस्थली धारवाड़ को एक और सम्मान मिला है, वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. सिद्धलिंग पट्टणशेट्टी को केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने से तथा धारवाड़ के एक और लेखक को केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार की सूची में शामिल करने से साहित्य प्रेमियों में खुशी छाई है।
अपने बहुमूल्य कार्यों से कन्नड़ और हिंदी साहित्य को समृद्ध करने वाले प्रो. सिद्धलिंग पट्टनशेट्टी के कन्नड़ नाटक “विदिश प्रहसन” के अनुवाद को यह पुरस्कार मिला है, जो कि कालिदास के संस्कृत नाटक “मालविकाग्निमित्रम” का कन्नड़ अनुवाद है।
वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. सिद्धलिंग पट्टनशेट्टी ने केंद्रीय साहित्य पुरस्कार प्राप्त करने पर अपनी खुशी साझा करते हुए कहा कि मैंने कई रचनाएं लिखी हैं परन्तु वे किसी पुरस्कार की आकांक्षा रखने वाले व्यक्ति नहीं हैं। इसके लिए लॉबिंग भी नहीं की है। निर्लिप्तता ने मुझे बचा लिया है। यह निर्लिप्त होकर बैठने का सम्मान है। कई साहित्यिक मित्रों और पाठकों की इच्छा थी कि मेरी कृतियों को केंद्रीय साहित्य अकादमी से सम्मानित किया जाए। वे खुश हैं और हां, एक लेखक के तौर पर मैं भी खुश हूं।
उन्होंने कहा कि मुझे अब मधुराचन्नर के शब्द याद आ रहे हैं, “जो आता है, वह आता है।” मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह तब आना चाहिए था, यह अब आया है। अब भी मैं उस स्थिति में नहीं हूं, मुझे हर चीज और हर किसी से प्रेम करने का अहसास होता है। जो लोग हमारे साथ थे वे खुश हैं और मैं भी खुश हूं। हमें सदैव खुश रहना चाहिए। यह खुश होने का एक कारण है।