हुब्बल्ली के कित्तूर चन्नम्मा सर्कल में महादयी, कलसा बंडूरी आंदोलनकारी कुतुबुद्दीन काजी की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन करते महादयी संघर्ष समिति के सदस्य।

राज्य और केंद्र की सरकार आंदोलन को दबाने के लिए आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर रही है
हुब्बल्ली. महादयी, कलासा बंडूरी कार्यकर्ता और बगलकोट रेलवे संघर्ष समिति के अध्यक्ष कुतुबुद्दीन काजी को झूठे आरोपों में गिरफ्तार करने का आरोप लगाकर महादयी संघर्ष समिति के सदस्यों ने शहर के रानी चन्नम्मा सर्कल में विरोध प्रदर्शन कर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि महादयी योजना के कार्यान्वयन के लिए कानूनी समस्या का समाधान नहीं कर पा रही राज्य और केंद्र की सरकार आंदोलन को दबाने के लिए आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करने का काम कर रही हैं।
सिद्दू तेजी ने कहा कि महादयी योजना को लागू करने की मांग को लेकर 2016 में हुब्बल्ली में सांकेतिक तौर पर ट्रेन रोको आंदोलन किया गया था परन्तु रेलवे पुलिस ने सात से आठ घंटे तक ट्रेन रोकने का झूठा मामला दर्ज किया था। इसके पूरक तौर पर कोई नोटिस या वारंट भी नहीं दिया गया। गुरुवार को अचानक कुतुबुद्दीन काजी को आरपीएफ और पुलिस ने बागलकोट में गिरफ्तार कर हुब्बल्ली कोर्ट को सौंपा है। पुलिस की यह कार्रवाई निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि अम्मिनबावी में मलप्रभा पेयजल जॉकवेल को अवरुद्ध करने का आरोप लगाकर धारवाड़ ग्रामीण थाने में और नवलगुंद टेलीफोन एक्सचेंज में शोर मचाने का आरोप लगाकर किसानों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया है। मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या और केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी को झूठे मामले वापस ले कर गिरफ्तार किए गए निर्दोष किसानों को रिहा करने के लिए कदम उठाना चाहिए। वरना किसान आंदोलनकारी और समितियों के सदस्य चुनाव प्रचार के लिए आने पर हाथों पर काला कपड़ा बांधकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
इस अवसर पर लोकनाथ हेबसूर, रघुनाथ रेड्डी नडुविनमनी, बाबाजान मुधोल, बशीर मुधोल समेत कई किसान उपस्थित थे।

किसान नेता की गिरफ्तारी के लिए केंद्रीय मंत्री जोशी जिम्मेदार
रैयत सेना कर्नाटक समिति के अध्यक्ष वीरेश सोबरदमठ ने आरोप लगाया कि किसान आंदोलनकारी कुतुबुद्दीन काजी को गिरफ्तार कर जेल भेजना बेहद निंदनीय है। इन सबके लिए केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी जिम्मेदार हैं।
उन्होंने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि केंद्रीय मंत्री को महादयी योजना के कार्यान्वयन से ज्यादा किसानों को जेल भेजने में दिलचस्पी है। योजना को लागू करने की मांग को लेकर कई बार केंद्र सरकार से गुहार लगाकर ज्ञापन सौंपे गए हैं। उनकी उपेक्षा के कारण 2016 में रेल रोको आंदोलन किया गया था। इसमें भाग लेने वाले 500 किसानों पर अकारण आपराधिक मामला दर्ज कर उन्हें परेशान किया जा रहा है। जिन जन प्रतिनिधियों को पानी के लिए संघर्ष करने वालों के समर्थन खड़ा होना चाहिए, वे ही उन्हें गिरफ्तार करने की साजिश रच रहे हैं। किसानों पर दर्ज मुकदमे तुरंत वापस लेने चाहिए। किसानों के खिलाफ मामले वापस न लेने के पीछे दुर्भावना है। केंद्रीय मंत्री जोशी इस सब का कारण हैं।

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