बेलगावी. ऐतिहासिक टिलकवाड़ी क्षेत्र में प्रस्तावित रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण अब स्थानीय लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। इस निर्माण से 500 से अधिक मकान, 3 मंदिर, 7 स्कूल और 1000 से ज्यादा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों तक पहुंच बाधित हो जाएगी।
इस क्षेत्र में मौजूद कई हिंदू मंदिरों के लिए भी यह पुल निर्माण एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। टिलकवाड़ी के निवासियों ने इस फैसले के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया है। उन्होंने नगर निगम, जिलाधिकारी, विधायक और सांसदों तक अपनी शिकायतें पहुंचाई हैं।
अंतिम प्रयास के तौर पर, 1000 से अधिक हस्ताक्षरों के साथ एक ज्ञापन केंद्रीय मंत्री सोमन्ना को सौंपा गया था, जिसे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया है। कुछ लोगों ने यह भी तय किया है कि अगर जरूरत पड़ी तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
विवाद का मूल कारण
रेलवे विभाग ने टिलकवाड़ी में टी-आकार का रेलवे ओवरब्रिज बनाने की योजना बनाई है, जिसका स्थानीय लोग कड़ा विरोध कर रहे हैं। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उनका कहना है कि इसकी जगह मेट्रो मॉडल पुल बनाया जाए, जिससे रेलवे यातायात भी प्रभावित न हो और आमजन की सुविधाएं भी बनी रहें।
ज्ञापन में कहा गया है कि शहर के टिलकवाड़ी में निर्माणाधीन एलसी-382 (दूसरे रेलवे गेट) पर चल रहे पुल निर्माण को तुरंत रोकना चाहिए। इससे इस भाग में जन यातायात, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और धार्मिक स्थलों तक पहुंच में गंभीर रुकावट आएगी।
यातायात और जनजीवन होगा अस्त-व्यस्त
ज्ञापन में उल्लेख किया है कि इस ओवरब्रिज के कारण आसपास के क्षेत्र मुख्य सडक़ से पूरी तरह कट सकते हैं, जिससे स्कूल, अस्पताल तक जाना मुश्किल हो जाएगा। यहां के लगभग 6000 छात्रों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यह लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
व्यापारी संकट में
व्यापारियों को डर है कि इस पुल के बनने से पैदल यात्री कम हो जाएंगे और उनका कारोबार ठप हो जाएगा। कई दुकानें पहले ही बंद हो चुकी हैं और पुल निर्माण जारी रहने से और भी लोग रोजगार से हाथ धो सकते हैं।
निकटवर्ती पुल पहले से मौजूद
ज्ञापन में यह भी बताया गया है कि महज 600 मीटर के दायरे में पहले से एलसी-381 और एलसी-383 पर पुल मौजूद है, जो ट्रैफिक के लिए पर्याप्त है। इसलिए एक और नया पुल बनाना वैज्ञानिक दृष्टि से अव्यवहारिक है।
रेलवे विभाग का कहना
रेलवे विभाग के अनुसार, टिलकवाड़ी के एलसी-382 पर पुल निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों की आपत्तियों के चलते एक निर्णायक बैठक जल्द ही होने वाली है। अक्टूबर 2018 में इस डिजाइन को रेलवे विभाग और नगर निगम ने स्वीकृति दी थी। फरवरी 2025 में 32.43 करोड़ रुपए की लागत से टेंडर भी स्वीकृत किया गया है। मिट्टी की जांच जैसे प्रारंभिक कार्यों का स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि पुराना लेवल क्रॉसिंग गेट ही बहाल रखना चाहिए। 6 मई 2025 को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में इस मुद्दे पर बैठक भी हुई थी, जिसमें सांसद और रेलवे अधिकारी शामिल थे। 8 मई को बेलगावी के विधायकों ने साइट का दौरा कर 22 जनवरी 2018 की योजना के अनुसार पुल निर्माण का निर्देश दिया है।
रेलवे विभाग ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में बताया है कि मंजूरशुदा सीधा डिजाइन के अनुसार ही पुल बनेगा, न कि टी प्रकार का। इसके लिए 224.20 वर्गमीटर भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव 6 फरवरी 2025 को ही भेजा गया है।
रेलवे विभाग ने जिला प्रशासन से स्थानीयों की चिंता का समाधान करने और तकनीकी जानकारी साझा करने के लिए एक और बैठक बुलाने का अनुरोध किया है।
धार्मिक स्थल को खतरा
पुल निर्माण स्थल पर एक पुराना गणेश मंदिर स्थित है, जिसे हटाने की आशंका है। इससे लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की चिंता है। नागरिकों का सुझाव है कि बेलगावी शहर में मेट्रो जैसी एलिवेटेड रेल संरचना बनानी चाहिए।
प्रधानमंत्री की मध्यस्थता की मांग
बेलगावी ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। 1924 में महात्मा गांधी ने कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता यहीं की थी। इस शहर में जनता को परेशानी न हो, इसके लिए केंद्र सरकार से त्वरित हस्तक्षेप की मांग लगातार बढ़ रही है। अब सबकी नजरें प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।