त्यावरेकोप्पा बाघ-शेर अभयारण्य

त्यावरेकोप्पा बाघ-शेर अभयारण्य
पर्यटकों से भारी प्रतिक्रिया मिल रही
हुब्बल्ली. शिवमोग्गा का त्यावरेकोप्पा बाघ-शेर अभयारण्य पर्यटकों का दौरा और राजस्व संग्रह के मामले में बन्नेरुघट्टा और मैसूर चिडिय़ाघर के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। अब तक मैसूर चिडिय़ाघर से जुड़ा कारंजी केरे झील देखने का स्थान तीसरे स्थान पर था।

कोविड काल के दौरान लगभग बंद होने की कगार पर पहुंचे त्यावरेकोप्पा चिडिय़ाघर को दो वर्षों से पर्यटकों से भारी प्रतिक्रिया मिल रही है। इसके चलते रिकार्ड आय अर्जित हुई है। खास बात यह है कि इसमें विदेशी पर्यटक भी हैं।

पिछले साल से 8 लाख रुपए बढ़ा राजस्व

त्यावरेकोप्पा बाघ-शेर अभयारण्य के एक अधिकारी का कहना है कि दिसंबर के अंत तक 2.71 लाख लोग चिडिय़ाघर का दौरा कर चुके हैं। पिछले वर्ष इसी अवधि में 2.50 लाख लोग आए थे। पिछले साल दिसंबर माह में 59 लाख रुपए आय संग्रह हुआ था। इस बार यह बढक़र 67 लाख रुपए हो गया है।

मैसूर को 33 करोड़ रुपए की आय

मैसूर चिडिय़ाघर ने 33 करोड़ रुपए आय अर्जित किया है। 150 साल के इतिहास वाले मैसूर चिडिय़ाघर में लाखों लोग आते हैं। इसके चलते बेशक आमदनी बहुत बढ़ गई है। बन्नेरुघट्टा नेशनल पार्क राजस्व संग्रह में 53 करोड़ रुपए के साथ पहले स्थान पर है। दूसरे स्थान पर मैसूर चिडिय़ाघर है। कारंजी केरे साइट की आय 3 करोड़ है और पहले चौथे स्थान पर स्थित शिवमोग्गा अब तीसरे स्थान पर आ गया है। बाद के स्थान पर हम्पी, गदग के बिंकदकट्टे, चित्रदुर्ग और दावणगेरे के आनगोडु मिनी चिड़ियाघर हैं।

त्यावरेकोप्पा में आएंगे असमिया बंदर
शिवमोग्गा चिडिय़ाघर की विकास दर बड़ी तेजी से बदल रही है। यह उपलब्धि मीडिया और सोशल नेटवर्क के सहयोग से संभव हो सकी है। पशु विनिमय योजना के तहत असम के नंदन वन चिडिय़ाघर को तेंदुए देने और वहां से असमिया बंदरों (असमिया मकाक) को त्यावरेकोप्पा लाने की तैयारी की गई है।

बंदरों को रखने के लिए पिंजरे भी तैयार हैं। फिलहाल त्यावरेकोप्पा चिडिय़ाघर में 17 तेंदुए हैं।

5.5 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद
कोविड के दौरान पूरी तरह से हाशिए पर चला गया था। केवल 1.5 करोड़ रुपए के साथ बंद होने की कगार तक पहुंच गया था। त्यावरेकोप्पा बाघ-शेर अभयारण्य का आय 31 दिसंबर तक 4.20 करोड़ रुपए पार हुआ है। पिछले साल मार्च के अंत में 4.20 करोड़ रुपए आय संग्रह हुआ था। पिछले साल का लक्ष्य तीन महीने पहले ही हासिल कर लिया गया है। इस बार मार्च के अंत तक 5.5 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। भीड़ पर काबू पाने के लिए शीघ्र नई टिकेटिंग प्रणाली लागू की जाएगी। इसके अलावा बाघ-शेर अभयारण्य के लिए सडक़ जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण भी किया जाएगा।

मुकुंदचंद्र, कार्यकारी निदेशक, त्यावरेकोप्पा बाघ-शेर अभयारण्य

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