9 हजार से अधिक सीटें खाली
बेलगावी, चिक्कबल्लापुर सहित कई जिलों में दो अंकों तक भी नहीं पहुंची प्रवेश प्रक्रिया
हुब्बल्ली. राज्य में कानूनी अनिवार्य शिक्षा अधिकार (आरटीई) योजना का आकर्षण लगातार घटता जा रहा है। शिक्षा विभाग की ओर से प्रतिष्ठित निजी विद्यालयों में आरक्षित किए गए 25 प्रतिशत आरटीई सीटों में से इस वर्ष भी करीब 9,000 सीटें खाली रह गई हैं।
11454 सीटों में से केवल 2499 भरीं
शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए राज्य सरकार ने प्रतिष्ठित निजी विद्यालयों में कुल 11,454 आरटीई सीटें निर्धारित की थीं परन्तु प्रवेश प्रक्रिया समाप्त होने तक मात्र 2,499 विद्यार्थी ही दाखिला ले सके, जबकि 8,955 सीटें खाली रह गईं।
पहले चरण में 3,769 विद्यार्थियों को सीटें आवंटित की गई थीं, जबकि दूसरे चरण में 921 बच्चों को प्रवेश मिला। इस तरह कुल 4,690 बच्चों को सीटें मिलीं परन्तु प्रवेश के समय पहले चरण में केवल 2,105 और दूसरे चरण में 394 बच्चे ही स्कूलों में दाखिल हुए। बाकी 2,191 बच्चों ने दाखिला ही नहीं लिया।
27 जिलों में हालात बेहद खराब
राज्य के 35 शैक्षणिक जिलों में से 27 जिलों में आरटीई प्रवेश प्रक्रिया दो अंकों तक भी नहीं पहुंच सकी। मधुगिरि और दक्षिण कन्नड़ जिलों में एक भी प्रवेश नहीं हुआ। बागलकोट (368), दावणगेरे (294), चिक्कोडी (258) और मैसूरु (238) में सर्वाधिक सीटें भरी गईं। वहीं विजयपुर (139), कलबुर्गी (128) और विशाल जिला बेलगावी (125) में बेहद कम प्रवेश हुए।
चिंताजनक स्थिति
विशेषज्ञों का मानना है कि अभिभावक अब सरकारी योजनाओं से ज्यादा निजी विद्यालयों में सीधी प्रवेश प्रक्रिया को प्राथमिकता दे रहे हैं। साथ ही, आरटीई के तहत विद्यालयों और अभिभावकों के बीच अविश्वास तथा जटिल प्रक्रियाएं भी इस गिरावट का कारण मानी जा रही हैं।